तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले में पशुओं को खिलाने के लिए चारे की किल्लत हो गई है. लोग अपनी गाय- भैंस को चारा खिलाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. ऐसे में जिले के डेयरी किसानों ने राज्य सरकार से रियायती दरों पर चारा बेचने की अपील की है. किसानों का कहना है कि मार्केट में उन्हें काफी महंगा चारा मिल रहा है. इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है. वहीं, पशुपालन विभाग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, धर्मपुरी जिले में 3.75 लाख से अधिक दुधारू मवेशी हैं, जिनका औसत दैनिक दूध उत्पादन 1.25 लाख लीटर है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गर्मी की शुरुआत होते ही जिले में चारे की कमी हो गई है. किसानों को बहुत ही मुश्किल से पशुओं के लिए घास मिल पा रही है. तमिलनाडु विवासयिगल संगम के अध्यक्ष, एसए चिन्नासामी ने बताया कि पिछले साल जिले में ज्यादा बारिश नहीं हुई थी. इससे जिले के कई किसानों को मक्का और धान की खेती छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके चलते जिले में सूखे चारे की किल्लत हो गई है. उन्होंने कहा कि अभी हमें चेंगम, कल्लाकुरिची, तिरुवन्नमलाई और अन्य क्षेत्रों से चारा मिल रहा है. इसलिए कीमतें बढ़कर 220 रुपये प्रति 30 किलो रोल हो गई हैं.
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एसए चिन्नासामी ने कहा कि जैसे-जैसे दिन बीतेंगे, मांग दोगुनी या तिगुनी हो सकती है और कीमतें बढ़ेंगी. सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और रियायती मूल्य पर घास वितरित करनी चाहिए. धर्मपुरी के एक किसान के पेरुमल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में चारे की कीमत में वृद्धि हुई है और अगर घास की कीमतें भी बढ़ती हैं, तो किसान गंभीर रूप से प्रभावित होंगे. खास बात यह है कि छह माह पहले घास की कीमत 150 रुपये प्रति 30 किलो रोल थी. लेकिन सप्लाई कम होने से कीमत अब 220 रुपये तक पहुंच गई है. ऐसे में मवेशी पालकों का बजट बिगड़ गया है.
पेरुमल ने कहा कि चारे की कीमत अधिक होने के चलते किसान मवेशियों को आवश्यक पोषक तत्व नहीं खिला पा रहे हैं. इसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ सकता है. वहीं, संपर्क करने पर जिला पशुपालन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि किसानों की चिंताओं को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे. पहले जब घास की कमी होती थी तो हम दूसरे जिलों से लाते थे. अगर जरूरत पड़ी तो हम इसे दोबारा करेंगे. वहीं, आम लोगों का कहना है कि चारे महंगे होने से दूध की कीमत पर भी असर पड़ेगा. अगर सरकार उचित मूल्य पर चारे की व्यवस्था नहीं करती है, लागत बढ़ने से दूध की कीमत भी प्रभावित हो सकती है.
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