देश में अगर यही हालत रही तो भविष्य में दूध का आयात करना पड़ सकता है. समाचार एजंसी 'रॉयटर्स' ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात की संभावना जताई है. रिपोर्ट कहती है, भारत में दूध की खरीदारी दिनोंदिन महंगी होती जा रही है. बहुत जल्द दूध के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई को छू सकते हैं. ऐसे में दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत दूध आयात के लिए मजबूर हो सकता है ताकि सप्लाई बढ़ाई जा सके और लोगों को महंगाई से राहत दी जा सके.
'रॉयटर्स' की रिपोर्ट कहती है, पशुपालन करने वाले किसान अभी दो मोर्चों पर जूझ रहे हैं- पहला, गायों में लगने वाली बीमारी लंपी और दूसरा, कोरोना के चलते दुधारू मवेशियों की संख्या में तेजी से कमी आना. कोरोना वायरस के संक्रमण ने मवेशियों में ब्रीडिंग को प्रभावित किया है जिससे दुधारू पशुओं के ब्रीड में भारी कमी देखी जा रही है. इसका बुरा असर दूध उत्पादन पर पड़ा है. इसी तरह, हाल में गायों में फैली लंपी जैसी वायरल बीमारी ने भी दूध के उत्पादन को प्रभावित किया है.
इसका बुरा असर दिखना शुरू भी हो गया है. पिछले एक साल में दूध के दाम में 15 फीसद तक उछाल आया है और प्रति लीटर इसका भाव 66 रुपये पर चला गया है. एक दशक में यह इस साल की बढ़ोतरी सबसे अधिक है. दूध के दाम में वृद्धि भी एक बड़ी वजह है जिससे कि केंद्र सरकार रिजर्व बैंक के लक्ष्य से नीचे महंगाई को नहीं ला पा रही है. महंगाई दर में खाद्य महंगाई का बड़ा रोल देखा जाता है जिसमें दूध का हिस्सा बड़ा है.
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इस साल के अंत में देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों में दूध और बाकी खाद्य सामानों के बढ़ते रेट बड़ा मुद्दा बन सकते हैं. कोटक महिंद्रा बैंक में चीफ इकोनॉमिस्ट उपासना भारद्वाज ने 'रॉयटर्स' से कहा, अगर दूध के दाम आगे और बढ़ते हैं महंगाई के मोर्चे पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा. वे कहती हैं, चूंकि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में दूध की महंगाई 6.6 परसेंट तक पहुंच गई है, ऐसे में दाम में कोई हल्की बढ़ोतरी भी पूरी महंगाई दर को प्रभावित करेगी.
पिछले साल डेयरी प्रोडक्ट में सीधा 39 फीसद का उछाल दर्ज किया गया था. उसके बाद दूध की सप्लाई में अचानक कमी आ गई है जिससे देश में बटर और दूध पाउडर के भंडार में कमी देखी गई. यह कमी इसलिए भी बढ़ गई क्योंकि देश में लोगों की इनकम बढ़ रही है जिससे प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों की मांग तेज हुई है. देश में शाकाहारी लोगों की तादाद भी अधिक है जिनके लिए दूध और डेयरी प्रोडक्ट ही कैल्शियम, विटामिन्स और प्रोटीन के सबसे प्रमुख स्रोत हैं.
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उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल डेयरी प्रोडक्ट में सात फीसद की तेजी देखी जा सकती है. लेकिन दूसरी ओर मार्च 2023 तक दूध के उत्पादन में महज एक फीसद की ही वृद्धि हो सकी है. पिछले दशक का हिसाब देखें तो औसत उत्पादन की दर 5.6 फीसद रहा है जबकि यह दर अभी एक फीसद ही दर्ज की गई है. इसके पीछे लंपी बीमारी भी एक बड़ी वजह है.
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