Fish Farming: सिर्फ 25 फीसद है बीज से बड़ी मछली बनने तक का सफर

Fish Farming: सिर्फ 25 फीसद है बीज से बड़ी मछली बनने तक का सफर

एक से डेढ़ किलो वजन की जो मछली हम खाने के लिए बाजार से खरीदकर लाते हैं उसका सफर बेहद जोखि‍म भरा होता है. इसके बारे में ऐसे भी जान सकते हैं कि अगर किसी तालाब में मछली के 100 बीज डालते गए हैं तो उसमे से 25 से 35 फीसद बीज बाजार की डिमांड के हिसाब से बड़ी मछली के साइज में बदल पाते हैं. 

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Fish Farming: सिर्फ 25 फीसद है बीज से बड़ी मछली बनने तक का सफरमछली का वजन

खेती की तरह से मछली पालन के लिए भी बीज की जरूरत होती है. फर्क बस इतना सा है कि मछली पालन में दो तरह का बीज इस्तेमाल किया जा सकता है. पहला जीरा और दूसरा फिंगर साइज. जैसा की नाम से ही मालूम पड़ रहा है कि मछली पालन में जीरा साइज बीज सबसे छोटा होता है. इसी जीरा साइज बीज से मछली का सफर शुरू होता है. ये बात अलग है कि बीज से एक-डेढ़ किलो तक की मछली बनने के सफर का फीसद बहुत कम है. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो जितनी जीरा साइज बीज तालाब में डाला जाता है उसका सिर्फ 25 से 35 फीसद बीज ही बड़ी मछली का आकार ले पाता है. 

इतना ही नहीं बीज को बड़ी मछली बनने के लिए भी दो से तीन तालाब से गुजरना पड़ता है. इसके बाद देश के अलग-अलग इलाकों की पसंद के हिसाब से मछली की वैराइटी तैयार होती है. जैसे नॉर्थ इंडिया के लिए खासतौर पर रोहू, कतला और नैनी तैयार की जाती है. 

देश में यहां तैयार होते हैं मछली पालन के लिए बीज 

फिश हैचरी चलाने वाले वाईएम खान का कहना है कि मछली पालने के लिए कोलकाता और आंध्रा प्रदेश के अलावा और दूसरी जगहों की हैचरी में भी बीज तैयार होता है. तीन तरह के साइज में से सबसे ज्यादा जीरा साइज बीज बिकता है. इसके एक-एक हजार बीज के पैकेट सप्लाई किए जाते हैं. इस बीज को आप सीधे लाकर तालाब में भी डाल सकते हैं. लेकिन ऐसा करने पर बीज का सक्सेस रेट बहुत ही कम यानि 25 फीसद तक होता है. बड़ी संख्या में तो बीज ट्रांसपोर्ट के दौरान ही खराब हो जाता है.  

बीज को सफल बनाने के लिए करें ये काम, होगा फायदा

मछली पालक वाईएम खान का कहना है कि अगर आप हैचरी से बीज लाकर पहले उसे नर्सरी में डालते हैं तो वो 35 से 40 फीसद तक कामयाब रहता है. तीन से छह महीने तक आप बीज को नर्सरी में रख सकते हैं. इस दौरान जीरा साइज का बीज फिंगर साइज या फिर 100 ग्राम तक का हो जाता है. इस साइज के बीज को आप फिर तालाब में ट्रांसफर कर सकते हैं. नर्सरी में रखने के दौरान बीज को सरसों की खल और चावल के छिलके का चूरा खिलाया जा सकता है. ऐसा करने से मछली में बीमारी भी कम लगती हैं. 

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