देश में पोल्ट्री मतलब अंडे और चिकन का कारोबार करीब 2 लाख करोड़ रुपये का है. इसमे सबसे ज्यादा अंडे का कारोबार होता है. देश की डिमांड पूरी करने के साथ ही विदेशों को भी अंडा एक्सपोर्ट किया जाता है. लेकिन मुर्गी से हर रोज अंडा लेना आसान नहीं है. वैसे देश में सबसे ज्यादा एक साल में 290 अंडे देने वाली मुर्गी लेअर बर्ड है. लेकिन यह भी सालभर में 365 अंडे नहीं देती है. मुर्गी किस दिन अंडा देगी और किस दिन नहीं देगी यह उसी पर निर्भर है. पोल्ट्री फार्मर किसी भी तरह की दवाई या तकनीक का इस्तेमाल कर मुर्गी से रोजाना अंडा नहीं ले सकता है.
देश में मुर्गी का 6 रुपये से लेकर 100 रुपये तक का एक अंडा बिक रहा है. सामान्य अंडा जहां 6 से 7 रुपये तक का है तो देसी मुर्गी का अंडा 15-20 रुपये से लेकर 100 रुपये तक का है. कड़कनाथ मुर्गी का अंडा इस सीजन में 30 से 40 रुपये तक का बिक रहा है. जबकि असील मुर्गी के अंडे की कीमत 100 रुपये है.
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट संजीव गुप्ता का कहना है कि मुर्गी एक बहुत ही सेंसेटिव बर्ड है. इसके ऊपर बहुत सारी चीजों का फर्क पड़ता है. जैसे हाल ही में दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के हल्के झटके लगे थे. रात में भूंकप के झटके लगे और अगले दिन हमारे यहां करीब 1600 मुर्गियों ने अंडा नहीं दिया. इसी तरह से मेरे एक दोस्त के पोल्ट्री फार्म पर चिकन वाले ब्रॉयलर मुर्गों में भूकंप के झटकों के बाद भगदड़ मच गई और सैकड़ों मुर्गे लंगड़े हो गए.
जहां मुर्गियों को पाला गया है और वहां काम करने के लिए कोई नया इंसान आए जाए तो कुछ मुर्गियां दो-चार दिन के लिए सहज महसूस नहीं करती हैं. रात को तय वक्त पर लाइट बंद करना और सुबह वक्त से चालू करने में कोई कोताही हो जाए. मुर्गियों के शेड में कोई बड़ा जानवर जैसे, बकरा-बकरी, कुत्ता या बंदर घुस आए. मुर्गियों को दाना (फीड) देने में देरी हो जाए. वातावरण में शोरगुल बहुत ज्यादा हो. दिवाली के मौके पर पटाखों की आवाज से भी मुर्गी डरती हैं. इन सब वजहों के चलते भी मुर्गी 8 से 10 दिन तक अंडा नहीं देती है. पोल्ट्री मालिक मनीष शर्मा की मानें तो एक दिन सुबह दाना देने में आधा घंटे की देरी हो गई थी. बस इसी बात के चलते करीब 10 फीसद मुर्गियों ने 10-12 दिन तक अंडा नहीं दिया. जबकि अंडा न देने पर भी हर रोज दाना अपनी खुराक के हिसाब से ही खाती हैं.
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