फायदे का सौदा है बकरी पालन, किसान और पशु मेले में व‍िशेषज्ञों ने पशुपालकों को दी सलाह

फायदे का सौदा है बकरी पालन, किसान और पशु मेले में व‍िशेषज्ञों ने पशुपालकों को दी सलाह

पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में चल रहे किसान मेले में अन्य चीजों के अलावा ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए भी विशेष रूप से कैंप लगाया गया है. किसानों को बताया जा रहा है क‍ि कौन-कौन सी फसल कैसे कैसे लगानी है. बिना केमिकल वाली खाद कैसे बनानी है. 

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फायदे का सौदा है बकरी पालन, किसान और पशु मेले में व‍िशेषज्ञों ने पशुपालकों को दी सलाहलुधियाना स्थित पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में चल रहा दो दिवसीय कृषि मेला

लुधियाना स्थित पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय किसान मेला और पशु मेला आरंभ हो चुका है. इस मेले में भारी तादाद में किसान पहुंच रहे हैं. गर्मी के बावजूद किसानों में काफी उत्साह है. पशु मेले में विशेषज्ञों ने बताया कि गाय, भैंस, सांड ,बकरी और मुर्गी इत्यादि जानवरों को किसानों के लिए प्रदर्शित किया गया है, जिसमें किसान काफी दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं.

कृषि विशेषज्ञ किसानों को सलाह दे रहे हैं कि बकरी पालन फायदे का सौदा है. जिसके चलते उन्हें बकरियां भी पालनी चाहिए. इसे उन्हें मुनाफा हो सकता है. इस मेले की विशेष बात यह है कि यहां अच्छी नस्ल के सांड का सीमन भी किसानों के लिए उपलब्ध है. गुरु अंगद देव वेटरनरी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ वहां मौजूद हैं. वो पशुपालकों और किसानों के हर एक प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं. 

पशुपालकों को किया जा रहा हैं शिक्षित 

पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में चल रहे किसान मेले में अन्य चीजों के अलावा ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए भी विशेष रूप से कैंप लगाया गया है. यहां किसानों को यह भी बताया जा रहा है क‍ि कौन-कौन सी फसल कैसे कैसे लगानी है. खाद कैसे बनानी है. बिना केमिकल वाली खाद कैसे बनानी है. इस पर पशुपालकों को शिक्षित किया जा रहा है. इसके अलावा हर्बल बूटे भी यहां दिए जा रहे हैं. यहां मुताबिक 100 से अधिक किस्म के बूटे हैं. अब 60 से 70 किस्म के बूटे सेल के लिए उपलब्ध हैं. बाकी जो किस्म है वह मार्च में बेची जाएगी.

पशु मेला
पशु मेला

विशेषज्ञों ने किसानों को दी सलाह

मेले में क‍िसानों को बताया जा रहा है क‍ि अगर कोई विशेषज्ञ उन्हें किसी खास किस्म की ऑर्गेनिक फसल के लिए रिकमेंड करता है तो वह भी यहां से ले जा सकते हैं. अपने घरों में यह लगा सकते हैं. विशेषज्ञ किसानों को यह भी सलाह दे रहे हैं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत बड़े स्तर से नहीं की जानी चाह‍िए. बल्कि शुरुआत छोटे स्तर से की जानी चाहिए. ताकि उन्हें यह तजुर्बा हो जाए क‍ि कौन सी फसल उनकी बिक रही है और कौन सी में उनका रिस्पांस कम आ रहा है. (रिपोर्ट/ मुनीष अत्रेय)

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