मछलियां पानी की सतह पर ग्रुप में घूम रही हैं तो हो जाएं सावधान, फौरन करें ये उपाय

मछलियां पानी की सतह पर ग्रुप में घूम रही हैं तो हो जाएं सावधान, फौरन करें ये उपाय

बीमार मछलियां समूह में पानी की सतह पर ग्रुप में घूमने लगती हैं. वहीं, ये मछलियां बेचैन और अनियंत्रित तैरती हैं. इसके अलावा बीमार मछलियां अपने शरीर को तालाब के किनारे या पानी में गड़े बांस के ठूंठ से बार-बार रगड़ती हैं. साथ ही पानी में बार-बार कूद कर पानी को छलकाती हैं.

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मछलियां पानी की सतह पर ग्रुप में घूम रही हैं तो हो जाएं सावधान, फौरन करें ये उपायमछलियों को बीमारी से बचाने के उपाय

भारत में मछली पालन आज एक बड़े व्यवसाय के तौर पर मशहूर है. गांवों से लेकर शहरों में भी बड़े पैमाने पर तालाबों में मछली पालन किया जा रहा है. लेकिन मछली पालन में मछलियों की सेहत का ध्यान रखना यानी उन्हें बीमारियों से बचाना काफी कठिन होता है. क्योंकि अक्सर ठंड के दिनों में बारिश के बाद या बरसात के दिनों में तालाब की सतह पर मछलियां तैरने लगती हैं जो मछलियों के बीमार होने का एक संकेत है, क्योंकि बारिश होने पर बाहर का पानी तालाब में जाता है जिससे न केवल तालाब का पानी खराब होता है बल्कि मछलियों के मरने का भी खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में तालाब के पानी का विशेष तौर पर ध्यान देना अति आवश्यक है. मछली पालकों को समय रहते फौरन कुछ उपाय करना चाहिए नहीं तो भारी नुकसान भी हो सकता है.

रोगग्रस्त मछलियों के जानिए लक्षण

बीमार मछली समूह में पानी की सतह पर ग्रुप में घूमने लगती है. वहीं, ये मछलियां बेचैन और अनियंत्रित तैरती हैं. इसके अलावा बीमार मछलियां अपने शरीर को तालाब के किनारे या पानी में गड़े बांस के ठूंठ से बार-बार रगड़ती है. साथ ही पानी में बार-बार कूद कर पानी को छलकाती हैं. इन सभी लक्षणो को देखते ही आप सावधान हो जाएं और फौरन करें ये उपाय करें.

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मछलियों को बचाने के ये हैं उपाय

1. मछलियों को बीमारियों से बचाने के लिए नए तालाब के निर्माण के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें जहां कि मिट्टी चिकनी हो. मछली पालन के लिए रेतीली मिट्टी तालाब के लिए अच्छी नहीं होती है क्योंकि उससे पानी जल्दी सूख जाती है और तालाब में बार-बार पानी भरना पड़ता है.

2. इसके अलावा मछली पालन में तालाब बनवाने के लिए नीची जगह का चुनाव करना चाहिए, क्योंकि यहां पानी अधिक दिनों तक रहता है और बनाने में खर्च भी कम आता है. बता दें कि मछली पालन के लिए तालाब कम से कम 50 डिसमिल का बनाएं, बड़े तालाब होने पर मछलियों में रोग फैलने का कम खतरा होता है.

3. तालाब की तलहटी को हमेशा साफ रखना चाहिए. इसके अलावा तालाब में पत्थरों या जड़ आदि को हटा देना चाहिए क्योंकि इससे न सिर्फ मछली निकालने में मदद मिलती है, बल्कि मछलियां घायल होने से बच जाती हैं.

4. तालाब में किसी भी तरह का पत्थर और पेड़-पौधे का तना नहीं छोड़ना चाहिए. पेड़-पौधे के तने तेजी से तालाब के पानी को सोख लेते हैं, जिससे मछलियों को दिक्कत होती है.

5. तालाब का बांध मजबूत और चौड़ा बनाना चाहिए, ताकि बरसात के दिनों में पानी के बहाव से बांध टूटे नहीं. पानी के बहाव से बचाने के लिए बांध के किनारे घास रखनी चाहिए, जिससे मिट्टी का कटाव ना हो और खेतों का पानी तालाब में ना आए क्योंकि बाहरी पानी से तालाब में रोग फैलने का संकट रहता है.

6. तालाब में बाहर से पानी लाने या तालाब के पानी को निकालने के लिए पाइप में जाली का इस्तेमाल करना चाहिए. ऐसा इसलिए ताकि तालाब की मछली पाइप के माध्यम से बाहर ना चली जाए. वहीं मछलियों के बीमारियों के लिए भी ये काफी जरूरी है ताकि बाहरी मछली तालाब में आके कोई रोग ना फैला दे.

7. तालाब के पानी का रंग अगर हरा हो जाए तो मछलियों को खाना और खाद देना बंद कर दें. इसके बाद जब पानी का रंग साफ हो जाए तो फिर मछलियों का खाना और दाना दें.

8. अगर मछली हवा में सांस लेने के लिए पानी की सतह पर अधिक मात्रा में घूमते दिखे तो तालाब के पानी को बदल देना चाहिए. नहीं तो मछलियों के लिए ये घातक साबित हो सकता है.

9. अगर 3-4 दिनों तक लगातार बादल छाए हों या रुक-रुक कर बारिश हो रही हो, तो मछलियों को बीमार होने से बचाने के लिए तालाब में चूना का इस्तेमाल करना चाहिए.

10. यदि मछलियां पानी की सतह पर एक साथ घूम रही हों या किसी बीमारी की आशंका हो तब भी तालाब में चूना का प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा ऐसी आशंका होने पर नजदीकी विशेषज्ञ या मछली पालन इकाई से संपर्क करना चाहिए. 

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