पाला बढ़ने से मर सकती हैं मछलियां, तालाब में ऐसे बढ़ाएं ऑक्सीजन लेवल

पाला बढ़ने से मर सकती हैं मछलियां, तालाब में ऐसे बढ़ाएं ऑक्सीजन लेवल

सूर्य की रोशनी की कमी के कारण पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. क्योंकि सूर्य की रोशनी के कारण ही तालाबों के पानी में ऑक्सीजन घुलती है. जिसके कारण मछलियां अपने गलफड़ों के माध्यम से तालाब के पानी में घुली ऑक्सीजन को सांस लेती हैं.

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पाला बढ़ने से मर सकती हैं मछलियां, तालाब में ऐसे बढ़ाएं ऑक्सीजन लेवलFish can die due to lack of oxygen

ठंड के मौसम में मछुआरों को अधिक सावधान रहने की जरूरत होती है. थोड़ी सी लापरवाही से उन्हें लाखों-हजारों रुपए का नुकसान हो सकता है. क्योंकि कड़ाके की ठंड मछलियों के लिए बहुत खतरनाक होती है. इस मौसम में तापमान कम होने की वजह से तालाब में ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो जाता है. जिस वजह से मछलियां मर सकती है. 

ग्रामीण और शहरी इलाकों में मछली पालन का कार्य बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. ठंड का मौसम और कोहरा मछलियों के लिए हानिकारक होता है. इससे तालाबों में पाली जाने वाली मछलियों पर बुरा असर पड़ रहा है.

क्यों होती है ऑक्सीजन की कमी

सूर्य की रोशनी की कमी के कारण पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. क्योंकि सूर्य की रोशनी के कारण ही तालाबों के पानी में ऑक्सीजन घुलती है. जिसके कारण मछलियां अपने गलफड़ों के माध्यम से तालाब के पानी में घुली ऑक्सीजन को सांस लेती हैं. अत्यधिक ठंड और ऑक्सीजन की कमी के कारण मछलियों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां फैलने लगती हैं. ऐसे में जरूरी है कि मछुआरों को आईए बात की जानकारी हो ताकि उन्हें नुकसान ना उठाना पड़े. 

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ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाले रोग

मछलियां इन बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं. अत्यधिक ठंड और ऑक्सीजन की कमी के कारण मछली में अल्सरेटिव सिंड्रोम वायरस रोग फैलने लगता है. जिसके परिणामस्वरूप मछली के शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने लगते हैं. पंख के किनारे सड़ने लगते हैं. इससे मछलियों की मौत भी हो जाती है और उनका विकास भी रुक जाता है.

बचाव के लिए अपनाएं ये तरीका 

इस समस्या से बचने के लिए मछुआरों को अपने तालाबों में पांच क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से चूना और एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से एक्वा हेल्थ डालने की सलाह दी गयी है. पानी में ऑक्सीजन की अत्यधिक कमी होने पर तालाब में ऑक्सीटैब और ऑक्सीरिच डालें. ताकि जल में शुद्धता एवं ऑक्सीजन जरूरी मात्रा में उपलब्ध रहे. इसके अतिरिक्त बीमार मछलियों को पानी में इकट्ठा करके कम से कम 500 ग्राम पोटैशियम परमैंगनेट का घोल डालने से भी यह समस्या ठीक हो सकती है.

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