सर्दी-गर्मी हो या बरसात, हर मौसम में पशुओं का चारा अब एक बड़ी परेशानी बनता जा रहा है. सर्दी-गर्मी में चारे की कमी होने के साथ ही वो महंगा भी हो जाता है तो बरसात के दिनों में बिना उपाय अपनाए हरा चारा खिलाने लायक नहीं रहता है. लेकिन बहुत सारे पशुपालक ऐसे हैं जो बरसात के दिनों में हरा चारा ज्यादा होने पर गाय-भैंस को दिनभर सिर्फ हरा चारा ही खिलाते हैं. लेकिन बरसात में पशुओं को चारा खिलाने का ये तरीका जानलेवा साबित हो सकता है. एनिमल एक्सपर्ट ऐसा करने के लिए साफ तौर पर मना करते हैं.
बरसात में हरा चारा सीधे खिलाने के चलते कई बार पशुओं की मौत तक हो जाती है. देशभर की गई गौशालाओं में इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं जहां बरसात के दौरान हरा चारा खाने के चलते दर्जनों गायों की मौत हो गई थी. चारा एक्सपर्ट की मानें तो मानसून में कई कारणों के चलते हरा चारा दूषित हो जाता है. इतना ही नहीं चारे की फसल में कैमिकल का इस्तेमाल करने की वजह से भी चारा दूषित हो जाता है.
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फीड एक्सपर्ट डॉ. दिनेश भोंसले ने किसान तक को बताया कि मानसून के दौरान होने वाले हरे चारे में पानी की मात्रा बहुत होती है. अब पशु जब इस चारे को खाता है तो उसे डायरिया समेत पेट संबंधी और कई तरह की बीमारियां होने लगती हैं. कई बार बरसात के दिनों में डायरिया पशुओं के लिए जानलेवा भी हो जाता है. अब इस तरह की परेशानी से बचने के लिए पशुपालकों को करना ये चाहिए कि जब पशु को हरा चारा खाने में दें तो उसे सूखा चारा भी खिलाएं. ऐसा करने के चलते चारे में मौजूद नमी की मात्रा कंट्रोल हो सकेगी.
क्योंकि चारा खाने के बाद पशु पानी भी पीता है. इसके चलते पशु के दूध की क्वालिटी भी खराब हो जाती है. इसलिए ये जरूरी है कि सूखा चारा खिलाने के साथ-साथ हम उसे मिनरल्स जरूर दें. मिनरल्स की पूरी मात्रा देने से दूध में फैट और दूसरी चीजों का स्तर बढ़ जाता है और दूध की क्वालिटी खराब नहीं होती है. इसके लिए सूखे चारे के तौर पर पशुओं को भूसा दिया जा सकता. जबकि मिनरल्स में खल, बिनौले, चने की चूनी वगैरत दी जा सकती है.
चारा एक्सपर्ट मोहम्मद आरिफ का कहना है कि बरसात के दिनों में ज्यादा होने वाले हरे चारे को स्टोर करके भी पशुओं को खिलाया जा सकता है. लेकिन चारा स्टोर करने के लिए जरूरी है कि हम पतले तने वाली फसल ही लें. क्योंकि पतले तने वाली फसल जल्दी सूखती है. कई बार हरा चारा स्टोर करने के दौरान चारे में फंगस की शिकायत आ जाती है. इसलिए चारे को फंगस से बचाने के लिए चारा फसल को पकने से कुछ दिन पहले ही काट लें.
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काटने के बाद उसे धूप में सुखाने के लिए रख दें. लेकिन चारे को जमीन पर सीधे डालकर ना सुखाएं. चारा सुखाने के लिए जमीन पर पहले जाली रख सकते हैं. जमीन पर डालने से चारे पर मिट्टी लग जाती है जो फंगस की बड़ी वजह होती है. चारे में जब नमी की मात्रा 15 से 18 फीसद के आसपास रह जाए, मतलब चारे का तना हाथ से टूटने लगे तो उसे स्टोर कर सकते हैं.
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