देश में पशुपालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. कोई डेयरी प्रोडक्ट बेचने के लिए गाय-भैंस का पालन कर रहा है, तो कोई मांस का कारोबार करने के लिए बकरी को पाल रहा है. लेकिन अब आम किसानों के बीच भेड़ पालन भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि इसमें कम लागत में ज्यादा मुनाफा है. इसके मांस के साथ-साथ ऊन की भी मार्केट में बहुत अधिक डिमांड है. खास बात यह है कि भेड़ पालन को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग राज्यों में सरकारें भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए किसानों को सब्सिडी दी जा रही है. पर इसके बावजूद भी कई किसनों में भेड़ पालन में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्योंकि उन्हें भेड़ की उन्नत नस्लों की जानकारी तक नहीं है. ऐसे में आज हम भेड़ की एक ऐसी नस्ल के बारे में चर्चा करेंगे, जिसका पालन करने पर किसानों मोटी कमाई होगी.
दरअसल, हम भेड़ की जिस नस्ल के बारे में बात करने जा रहे हैं उसका नाम 'अविशान' है. एक्सपर्ट का कहना है कि 'अविशान' भेड़ों की एक उन्नत नस्ल है. इसका वजन बहुत ही तेजी के साथ बढ़ता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह एक साथ 3 से 4 मेमनों को जन्म देती है. वहीं, 'अविशान' नस्ल की भेड़ें एक साल में दो बार गर्भधारण करती हैं. यानी वह एक साल के अंदर ही 6 से 8 बच्चों को जन्म दे सकती है. ऐसे में अगर किसान 'अविशान' नस्ल की भेड़ का पालन करते हैं, तो उन्हें बहुत अधिक मुनाफा होगा. वे बड़े स्तर पर मांस के साथ-साथ ऊन भी बेच सकते हैं.
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पशु विशेषज्ञों की मानें तो अविशान भेड़ के बच्चे का विकास अन्य नस्ल की भेड़ों के मुकाबले 30 फीसदी अधिक तेजी के साथ होता है. ऐसे में इसके मेमने जल्द ही जन्म के बाद बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके चलते किसानों को इसके पालन पर भी कम खर्च करने पड़ते हैं. अभी उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों में किसान बड़े स्तर पर अविशान की भेड़ का पालन कर रहे हैं. इसके मेमनों की मृत्यु दर महज 5 फीसदी ही है. अगर आप चाहें, तो 3 महीने के मेमनों को मांस के लिए बेच सकते हैं. एक मेमने से 2500 रुपये की कमाई होगी. अगर आपने 50 भेड़ के साथ अविशान का पालन शुरू किया है, तो एक साल में कम से कम 200 तक मेमने बेच सकते हैं. इस तरह आप लखपति बन जाएंगे.
खास बात यह है कि अविशान का क्लोन को तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों को काफी मेहनत करनी पड़ी थी. इसके लिए साल 1997 में पश्चिमी बंगाल के सुंदरवन से गैरोल नस्ल की भेड़ मंगवाई गई. इसके बाद इस नस्ल को मालपुरा की भेड़ से क्रॉस करवाकर क्लोन तैयार किया गया. लेकिन वैज्ञानिकों को पूरी तरह से सफलता नहीं मिली. क्योंकि क्रॉस कराने के बाद जो भेड़ की नस्ल आई, उसकी मृत्यु दर अधिक थी. साथ ही दूध देने की क्षमता भी कम थी. इसके बाद गुजरात के पाटनवाड़ी नस्ल की भेड़ से मालपुरा की भेड़ से क्रॉस करवाया गय. तब जाकर भेड़ों की उन्नत नस्ल "अविशान" का जन्म हुआ. यह साधारण नस्ल की भेड़ों के मुकाबले अधिक दूध देती है. साथ ही इसकी प्रजनन क्षमता भी ज्यादा है. यह साल में दो बार गर्भधारण करती है.
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