PMMSY: 200 करोड़ रुपये से मछुआरों के 100 गांवों को मिलेगी फूड सिक्योरिटी 

PMMSY: 200 करोड़ रुपये से मछुआरों के 100 गांवों को मिलेगी फूड सिक्योरिटी 

जल्द ही मछली को ट्रांसपोर्ट करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा. इसे देखते हुए केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI), केरल ने एक पायलट परियोजना शुरू की है. इस परियोजना के तहत इनलैंड फिशरीज (मछली पालन) में निगरानी और प्रबंधन में ड्रोन की क्षमता का पता लगाया जाएगा. 

Advertisement
PMMSY: 200 करोड़ रुपये से मछुआरों के 100 गांवों को मिलेगी फूड सिक्योरिटी बिहार के युवाओं ने डैम को किराये पर लेकर संवारा करियर (प्रतीकात्‍मक फोटो)

कोस्टल एरिया के 100 गांवों को जलवायु अनुकूल तटीय मछुआरा गांवों (CRCFV) में शामिल किया गया है. सीआरसीएफवी योजना के तहत गांवों को विकसित किया जाएगा. इतना ही नहीं बदलते पर्यावरणीय हालात के बीच मछली पकड़ने वाले मछुआरा समुदाय की फूड सिक्योरिटी, सामाजिक-आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, बुनियादी ढांचे में सुधार करने और जलवायु-स्मार्ट आजीविका के लिए केन्द्र सरकार ने 200 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है. इसके साथ ही मत्स्य पालन क्लस्टर विकास कार्यक्रम के तहत उत्पादन और प्रोसेसिंग क्लस्टर के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी जारी की गई है. 

ये कहना है केन्द्रीय मत्स्य पालन और पशुपालन, डेयरी मंत्री राजीव रंजन का. 11 सितम्बर को प्रधानमंत्री मत्स्य पालन संपदा योजना (PMMSY) की चौथी वर्षगांठ के मौके पर उन्होंने ये घोषणाएं की हैं. इस मौके पर दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम के दौरान मोती की खेती, सजावटी मछली पालन और समुद्री शैवाल की खेती के लिए तीन क्लस्टर बनाने की घोषणा की है.

ये भी पढ़ें: Milk Production: भैंस का दूध और उसकी प्रजनन क्षमता बढ़ाने को बाजार में आ रही है ये खास डिवाइस

जानें मछली पालक और मछुआरों के लिए क्या हुईं घोषणाएं 

PMMSY की चौथी वर्षगांठ के मौके पर केंद्रीय मंत्री ने एनएफडीपी (राष्ट्रीय मत्स्य विकास कार्यक्रम) पोर्टल लॉन्च किया. ये पोर्टल मत्स्य पालन से जुड़े लोगों की रजिस्ट्री, सूचना, सेवाओं और मत्स्य पालन से संबंधित सहायता  करेगा. वहीं इस दौरान एनएफडीपी (नेशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफार्म) लांच किया गया, इसे प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) के तहत बनाया गया है. ये PMMSY की एक उप-योजना है. इस योजना से देश भर में मत्स्य पालन में लगे मछली श्रमिकों और कारोबारियों की एक रजिस्ट्री बनाकर उन्हें एक डिजिटल पहचान दी जाएगी. एनएफडीपी के माध्यम से लोन,  सब्सि डी, जलीय कृषि बीमा आदि जैसे फायदे मिल सकेंगे. 

वहीं समुद्री शैवाल की खेती और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए CMFRI के रीजनल सेंटर, मंडपम के बारे में जानकारी दी. उनका कहना है कि इससे समुद्री शैवाल की खेती में र्स्टाटअप और डवलपमेंट को फायदा मिलेगा. इससे खेती की तकनीकों को बढ़ाने, बीज बैंक की स्थापना आदि पर काम होगा. 

वहीं बीज की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मरीन और इनलैंड फिशरीज में मछली की प्रजातियों के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर की स्थापना का अनावरण किया गया. इतना ही नहीं करीब 100 मछली पालन स्टार्ट-अप, सहकारी समितियों, एफपीओ और एसएचजी को बढ़ावा देने के लिए देश में इनक्यूबेशन सेंटर बनाए जा रहे हैं. ये तीन सेंटर हैदराबाद, मुंबई और कोच्चि में बनाए जाएंगे. इस दौरान स्वदेशी प्रजातियों को बढ़ावा देने और राज्य मछली के संरक्षण पर पुस्तक का भी विमोचन किया गया. 

ये भी पढ़ें: Goat Meat: अगर आप बकरों को खि‍ला रहे हैं ये खास चारा तो बढ़ जाएगा मुनाफा, जाने वजह

ये भी मिला मछली पालकों को

केन्द्रीय मंत्री 721.63 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा भी की. इन परियोजनाओं के तहत असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा और नागालैंड में एक्वा पार्क, बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए अरुणाचल प्रदेश और असम में दो विश्व स्तरीय मछली बाजारों की स्थापना, कटाई के बाद प्रबंधन में सुधार के लिए गुजरात, पुडुचेरी और दमन-दीव में तीन स्मार्ट और एकीकृत मछली पकड़ने के बंदरगाहों का विकास, जलीय कृषि और एकीकृत मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, पंजाब के 800 हेक्टेयर में खारे क्षेत्र और एकीकृत मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा. 
 

 

POST A COMMENT