अमेरिकी टैरिफ से हिमाचल के भेड़पालक प्रभावित, सरकार से सब्सिडी की मांग

अमेरिकी टैरिफ से हिमाचल के भेड़पालक प्रभावित, सरकार से सब्सिडी की मांग

बैजनाथ एफपीओ के प्रमुख अक्षय जसरोटिया ने कहा कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के प्रभाव का आकलन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 26 प्रतिशत टैरिफ से उन्हें अन्य ऊन उत्पादक देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, पेरू और तुर्की से मुकाबला करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि इन देशों पर केवल 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है.

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अमेरिकी टैरिफ से हिमाचल के भेड़पालक प्रभावित, सरकार से सब्सिडी की मांगहिमाचल के भेड़ पालकों को परेशानी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत से आयातित सभी वस्तुओं पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसका असर हिमाचल प्रदेश के भेड़ चरवाहों और उनकी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला है. बैजनाथ और बड़ा भंगाल के किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और कांगड़ा जिले के किसानों के एनजीओ हर साल अमेरिका को करीब 2.5 लाख किलो जैविक ऊन निर्यात करते हैं. इस निर्यात से भेड़ चरवाहों को अच्छा लाभ मिलता है, लेकिन नए टैरिफ के कारण इस व्यापार पर संकट मंडराने लगा है.

बैजनाथ एफपीओ के प्रमुख अक्षय जसरोटिया ने कहा कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के प्रभाव का आकलन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 26 प्रतिशत टैरिफ से उन्हें अन्य ऊन उत्पादक देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, पेरू और तुर्की से मुकाबला करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि इन देशों पर केवल 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है.

केंद्र सरकार से मदद की उम्मीद

अक्षय जसरोटिया ने आगे बताया, "हमने उन अमेरिकी कंपनियों से संपर्क किया है जो हमसे ऊन आयात करती हैं. वे भी नए टैरिफ की घोषणा से पैदा हुए स्थिति का आकलन कर रहे हैं. हम केंद्र सरकार से मदद की उम्मीद करते हैं ताकि हम इस संकट का समाधान निकाल सकें."

बैजनाथ एफपीओ की मदद से भेड़ चरवाहों के ऊन को जैविक प्रमाणित किया गया था, जिसके बाद अमेरिकी कंपनियों ने इनसे ऊन खरीदना शुरू किया. पहले हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन को 45 रुपये प्रति किलो की दर से ऊन बेचने वाले चरवाहों को अब जैविक प्रमाणन के बाद 60 से 70 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. इसके अलावा, अमेरिकी कंपनियां एफपीओ को गाड़ी की लागत भी देती हैं, ताकि ऊन को कांगड़ा जिले के जंगलों से नई दिल्ली तक भेजा जा सके.

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सरकार से सब्सिडी की उम्मीद

हालांकि, अब अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा 26 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद, बैजनाथ और बड़ा भंगाल के एफपीओ को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. जसरोटिया ने कहा, "हमें इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार से सब्सिडी की उम्मीद है, ताकि हम अन्य देशों से आने वाले ऊन के मुकाबले प्रतिस्पर्धा कर सकें."

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जैविक ऊन निर्यात का आंकड़ा

कुछ साल पहले बैजनाथ से अमेरिका को करीब 2.5 लाख किलो जैविक ऊन का निर्यात किया गया था. अब, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा 26 प्रतिशत टैरिफ लगाने से भारत से आने वाले ऊन की कीमत बढ़ जाएगी, जिससे कांगड़ा और चंबा जिलों के भेड़ चरवाहों को नुकसान हो सकता है. 

इस नए टैरिफ के कारण, बैजनाथ और बड़ा भंगाल के एफपीओ के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं. इस संकट का समाधान तलाशने के लिए सरकार की मदद जरूरी है, ताकि गद्दी चरवाहों को उनके मेहनत के सही दाम मिलते रहें और उनके व्यापार को बढ़ावा मिल सके.

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