Bull Sterilization: यूपी के इटावा में अब तक 1300 सांडों की हुई नसबंदी, पशुपालन विभाग आखिर क्यों कर रहा है ये काम?

Bull Sterilization: यूपी के इटावा में अब तक 1300 सांडों की हुई नसबंदी, पशुपालन विभाग आखिर क्यों कर रहा है ये काम?

इटावा के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज कुमार गुप्ता ने कहा कि राज्य में आवारा गोवंशों को सुरक्षित करने के लिए 1 नवंबर से विशेष अभियान शुरू किया गया है. यह अभियान 31 दिसंबर तक चलाया जाएगा.

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Bull Sterilization: यूपी के इटावा में अब तक 1300 सांडों की हुई नसबंदी, पशुपालन विभाग आखिर क्यों कर रहा है ये काम? यह अभियान 31 दिसंबर तक चलाया जाएगा. (File Photo)

Etawah News: उत्तर प्रदेश के कई जिलों से सांडों (Bull) के हमले की खबरें सामने आती रही हैं. अक्सर सांड राह चलते लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं. इसी कड़ी में पशुपालन विभाग की ओर से आवारा सांडों से मुक्ति के लिए नसबंदी अभियान (Sterilization Campaign) चलाया जा रहा है. इसके तहत राज्य के अलग-अलग जिलों में सांडों की नसबंदी की गई है. इटावा में अब तक करीब 1308 के आसपास सांडों का बधियाकरण किया गया है. वहीं, इस कंपेन की जानकारी देते हुए इटावा के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज कुमार गुप्ता ने कहा कि राज्य में आवारा गोवंशों को सुरक्षित करने के लिए 1 नवंबर से नसबंदी अभियान शुरू किया गया है. यह अभियान 31 दिसंबर तक चलाया जाएगा.

उन्होंने बताया कि जिले में आवारा पशु बड़ी संख्या में शहर की मुख्य सड़कों और हाईवे पर बैठे रहते हैं, जिससे वाहन चालकों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार सड़क हादसे में मौत भी हो जाती है. ऐसे में इन घटनाओं को रोकने के लिए नसबंदी की जा रही है. जिससे इनकी जनसंख्या पर नियंत्रण किया जा सके. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज कुमार गुप्ता ने आगे कहा कि अब तक 1308 से अधिक सांडों बधियाकरण किया गया. आने वाले वक्त में विशेष अभियान के तहत आंकड़ा और बढ़ सकता है. मामले में उप्र पशुपालन विभाग के डायरेक्टर अरुण कुमार जौदान ने किसान तक से बातचीत में बताया कि जो साड़ अभी सड़कों पर घूम रहे है, वो नान स्क्रीप्ट है, क्योंकि वो गायों के साथ प्रजनन कर लेते है, उनके बधियाकरण करने से संख्या कम होगी, दूसरा सांड़ों के बधियाकरण करने के बाद वो सुस्त हो जाते है, इसके बाद वो सड़कों पर आम राहगीरों को निशाना नहीं बनाते हैं.

जानिए क्या होता है बधियाकरण

बधियाकरण में नर पशु का तकनीकी विधि द्वारा नसबंदी की जाती है, जिसे बधियाकरण कहते है. सांडों में बधियाकरण करने की सबसे अच्छी आयु 6 से 12 माह की होती है, क्योंकि इस उम्र में पशु को नियंत्रित करना आसान होता है. ज्यादा उम्र के पशुओं और खास तौर पर सांडों में नस कठोर हो जाती है, जिससे बधियाकरण करने में परेशानी होती है. वहीं कभी-कभी बधियाकरण असफल होने की संभावना भी बनी रहती है. 

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दरअसल, एक अध्ययन के अनुसार सड़क पर घूम रहे सांड और गायों से जन्म ले रहे बछड़े-बछिया से नस्ल में गिरावट आ रही है और गोवंश की संख्या भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है. इस स्थिति से जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. चाहे वह खेतों में फसल चौपट होने का मामला हो या सड़क पर दुर्घटना, हर जगह लोगों को इन आवारा पशुओं से भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

 

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