अच्छे दूध उत्पादन के और दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक दाने और चारे के साथ हरा चारा खिलाना बहुत जरूरी है. हरा चारा पशुओं के अंदर पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है. एक दुधारू पशु जिस का औसत वजन 550 किलोग्राम हो, उसे 25 किलोग्राम की मात्रा में साइलेज चारा खिलाया जा सकता है.
पशुपालकों के लिए हर समय पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराना सबसे कठिन काम में से एक है. हालांकि, साइलेज को हरे चारे के विकल्प के रूप में देखा जा सकता है. दरअसल बढ़िया साइलेज में 85 से 90 प्रतिशत हरे चारे के बराबर पोषक तत्व मौजूद होता है.
हरे चारे की कमी के समय साइलेज खिलाकर पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा अगर आप पशुपालक नहीं हैं तो साइलेज बनाने का बिजनेस करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
हरे चारे को हवा की अनुपस्थिति में गड्ढे के अंदर रखने से चारे में लैक्टिक अम्ल बनता है, जो हरे चारे का पीएच कम कर देता है और हरे चारे को सुरक्षित रखता है. इस सुरक्षित हरे चारे को साइलेज कहा जाता हैं.
अधिकतर किसान पशुओं को खिलाने के लिए भूसा या पुआल का इस्तेमाल करते हैं, जो साइलेज की तुलना में बहुत बेकार माना जाता है, क्योंकि भूसा या पुआल में प्रोटीन, खनिज तत्व और ऊर्जा की उपलब्धता कम होती है. वहीं साइलेज में अधिक होती है.
साइलेज बनाने के लिए आप दाने वाली फसलें जैसे- मक्का, ज्वार, जई, बाजरा आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि इनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है. कार्बोहाइड्रेट की अधिकता से दबे चारे में किण्वन क्रिया तेज होती है.
साइलेज बनाने में गड्ढे के लिए जगह का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है. साइलेज बनाने के गड्ढे हमेशा ऊंचे स्थान पर बनाने चाहिए, जहां से बारिश के पानी का निकास अच्छी तरह हो सके. वहीं जमीन में पानी का स्तर कम हो.
साइलेज सभी प्रकार के पशुओं को खिलाया जा सकता है. वहीं पशुओं को एक भाग सूखा चारा, एक भाग साइलेज मिलाकर खिलाना चाहिए. यदि हरे चारे की कमी हो, तो साइलेज की मात्रा ज्यादा की जा सकती है. साइलेज बनाने के 30-35 दिन बाद साइलेज खिलाया जा सकता है.
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