इस धरती पर कई ऐसी चीजें हैं जिसे देख आप हैरान रह जाएंगे. कच्छ बहुत खूबसूरत इलाका है. यह अपनी विभिन्न कलाओं से देश-विदेश के लोगों को आकर्षित करता है. इस क्षेत्र की धरती पर कई अद्भुत जीव-जंतु हैं. कच्छ में दो प्रकार के ऊँट पाए जाते हैं, कच्छी और खराई.
ऊँट की खराई नस्ल कई मायनों में खास होती है. क्योंकि, यह ऊंट अपना भोजन पाने के लिए रेगिस्तान में नहीं बल्कि पानी में जाता है. यह समुद्र को पार कर सकता है. ऊँट की इस प्रजाति को राष्ट्रीय मान्यता भी प्राप्त है.
यह ऊंट कच्छ के तटीय गांवो में पाया जाता है. ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि इसे पानी में रहना पसंद है. बल्कि यह ऊंट अपने खाने की वजह से पानी में रहता है. इस ऊँट का मुख्य भोजन चेर नामक पौधा है जो समुद्री तट पर पाया जाता है.
समुद्र में जाना और वहां की वनस्पति खाना इस ऊँट की खासियत है. खराई ऊंट अकेले ही समुद्र में डेढ़ से दो किलोमीटर तक तैर सकता है. वे भोजन के लिए चेरिया (एक प्रकार की वनस्पति) के जंगलों में जाते हैं. कच्छ में, खराई ऊंट खाड़ी क्षेत्र में भचाऊ तालुका के चिराई से लेकर वोंध, जंगी, अंबलियारा और सूरजबाड़ी तक पाए जाते हैं.
रबारी और जाट समुदाय के लोग पशुपालन के रूप में इसकी देखभाल करते हैं. इस प्रजाति का मुख्य भोजन चेरिया नामक पेड़ है, जो समुद्र में उगता है.
साल 2012 में इन ऊंटों की संख्या 4,000 थी. लेकिन वहीं अब कच्छ में इसकी संख्या अब घटकर मात्र 2,000 रह गई है, जो कि बहुत कम बताई जा रही है.
इन क्षेत्रों में पाई जाने वाली ऊँटनी के दूध का इस्तेमाल आइसक्रीम, चॉकलेट और अन्य उत्पाद के लिए किया जाता है. इस दूध को पीने से कई फायदे होते हैं.
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