Fish Farming: केरल की तकनीक से अब झारखंड में आएगी नीली क्रांत‍ि!

Fish Farming: केरल की तकनीक से अब झारखंड में आएगी नीली क्रांत‍ि!

केरल दौरे में हुई चर्चा के दौरान झारखंड के कृषि मंत्री ने कहा वे झारखंड पहुंचकर अपनी टीम से जल क्षेत्र का विस्तृत सर्वे कराएंगे. इसके साथ ही राज्य की आवश्यकता के अनुसार नाव एवं जाल का डिजाइन तैयार करवाया जाएगा.

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Fish Farming: केरल की तकनीक से अब झारखंड में आएगी नीली क्रांत‍ि!CIFT में उपस्थित कृषि मंत्री फोटोः ट्विटर

झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख इन द‍िनों अपनी टीम के साथ केरल दौरे पर हैं, ज‍िसके तहत वह कृषि की नई तकनीकों को जानने-समझने और राज्य में लागू करने के लिए केरल के अलग-अलग कृषि संस्थानों में घूम रहे हैं. इसी क्रम में झारंखड के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री ने सचिव अबू बकर सिद्दीकी व विभागीय पदाधिकारियों के साथ केंद्रीय मात्स्यकी प्रौद्योगिकी संस्थान (CIFT) कोच्ची ,केरल का दौरा किया, जहां से उन्होंने कृषि, मत्स्य से जुड़ी तकनीकी एवं शैक्षणिक व्यवस्थाओं की जानकारी हासिल की है. सीआईएफटी ने इस तकनीक को केरल में लागू क‍िया है, ज‍िसे झारखंड में अपनाने पर काम क‍िया जा रहा है. मसलन, अब केरल की तकनीक से झारखंड में नीली क्रांत‍ि (मत्स्य पालन) के अवसर तलाशे जा रहे हैं.   

नाव और जाल का ड‍िजाइन होगा तैयार 

केरल दौरे में हुई चर्चा के दौरान झारखंड के कृषि मंत्री ने कहा वे झारखंड पहुंचकर अपनी टीम से जल क्षेत्र का विस्तृत सर्वे कराएंगे. इसके साथ ही राज्य की आवश्यकता के अनुसार नाव एवं जाल का डिजाइन तैयार करवाया जाएगा, जिससे मत्स्य शिकारमही एवं मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों को अधिक से अधिक फायदा हो सके. झारखंड राज्य में बड़े पैमाने से हो रहे केज कल्चर के लिए विशेषकर केज के बाहर ट्रैप लगाने से भी मत्स्य पालकों की आमदनी में वृद्धि होती है. कृष‍ि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि संस्थान द्वारा नए डिजाइन किए गए सोलर पावर से संचालित मोटर बोट भी राज्य हित में, मत्स्य शिकारमही एवं मत्स्य पर्यटन में, मील का पत्थर साबित हो सकती है, साथ ही संस्थान के द्वारा डिजाइन किए गए अल्मुनियम बोट एवं रबर बोट भी जलाशयों में हो रहे शिकारमही के लिए उपयोगी साबित होगी.

मत्स्यपालकों को फायदा पहुंचाने की कोशिश 

केरल दौरे के दौरान कृष‍ि मंत्री बादल पत्रलेख ने राज्य में केजों में हो रहे पंगेशियस एवं मोनोसेक्स तिलपिया के मार्केटिंग स्ट्रेटजी पर भी विस्तृत चर्चा की. इस संबंध में संस्थान द्वारा डेवलप वैल्यू एडेड प्रोडक्ट को झारखंड के लोगों के टेस्ट के अनुसार डेवेलप करने के लिए आमंत्रित किया गया. राज्य में धुर्वा रांची में अवस्थित हाइजेनिक फिश मार्केट हेतु हाइजेनिक कंडीशन में मछलियों के बिक्री एवं मछलियों के वेस्ट प्रोडक्ट को सही रूप में निष्पादित करने हेतु मंत्री के द्वारा तकनीक उपलब्ध कराने पर भी चर्चा की गई, जिस पर संस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा बताया गया कि संस्थान द्वारा मात्र 65000 रुपये लागत में हाइजेनिक कंडीशन में मछलियों के बिक्री हेतु रेफ्रिजरेटेड बॉक्स को डेवलप किया गया है, जिसमें मछलियों की सही रूप में बिक्री की जा सकती है, साथ ही मछलियों के स्केल (चोईटा) निकालने हेतु उपकरण की उपयोगिता पर भी चर्चा हुई एवं उन वेस्ट प्रोडक्ट को फिश मिल के रूप में भी इस्तेमाल करने की तकनीक को लेकर बात हुई.

CIFT के सहयोग से राज्य में आएगी कृषि की उन्नत तकनीक

कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने बताया कि राज्य के किसानों को कम खर्च में ज्यादा मुनाफा हो इसके लिए सीआईएफटी का सहयोग तकनीक के क्षेत्र में लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम सीड, मत्स्य उत्पादन में काफी आगे हैं, लेकिन तकनीक का समावेश अगर इस क्षेत्र में होगा तो उसके किसानों के हित में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे और उन्हें आर्थिक स्वावलंबी बनाने की राहें आसान होंगी.

 

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