क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की बैठक डा. संजय सिंह, महानिदेशक उप्र कृषि अनुसंधान परिषद की अध्यक्षता में गुरुवार को उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद में सम्पन्न हुई. प्रदेश में मौसम के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में किसानों को अगले सप्ताह कृषि प्रबन्धन के लिए मौसम पूर्वानुमान तथा खेतीबाड़ी से संबंधित प्रमुख सुझाव किसानों हेतु जारी किए गए हैं.
इस संबंध में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी तथा मीडिया प्रभारी विनोद कुमार तिवारी ने बताया कि आगामी सप्ताह के सभी दिनों में पश्चिमी पूर्वी बुंदेलखंड एवं उत्तर प्रदेश के सभी अंचलों में अनेक स्थानों पर हल्की तथा मध्यम वर्षा होने की संभावना है. प्रारंभ के दो दिनों (दिनांक 13 एवं 15 जुलाई 2023 में प्रदेश के उत्तरी तराई जनपदों में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है. जबकि अन्य दिनों में प्रदेश के सभी अंचल के जनपदों में वर्षा की तीव्रता एवं क्षेत्रफलीय वितरण में आंशिक तौर पर कमी आने की संभावना है.
फसलों की बुवाई प्राथमिकता के आधार पर करें
इस संबंध में किसानों से अपेक्षा की गई है कि जिन क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हुई है उन क्षेत्रों में कृषक दलहनी, तिलहनी व फसलों की बुवाई प्राथमिकता के आधार पर करें. दलहनी फसलों का बीज यदि उपचारित नहीं है तो संस्तुति अनुसार उपचारित कर फसल के विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से अवश्य उपचारित करें. धान की रोपाई हेतु मौसम अनुकूल है अतः कृषक रोपाई का कार्य यथाशीघ्र पूर्ण करें. धान की "डबल रोपाई या सण्डा प्लाटिंग" हेतु दूसरी रोपाई पुनः पहले रोपे गये धान के 03 सप्ताह बाद 10 x10 से.मी. की दूरी पर करें.
किसानों के लिए खास टिप्स
रोपाई वाले खेत में 1 फीट ऊंची मेढ़ बनाए ताकि वर्षा जल संचित कर लाभ लिया जा सके. धान की रोपाई हेतु खेत की तैयारी के समय 25 कि.ग्रा./हे. दर से जिंक सल्फेट डालें. धान की तैयार पौध की रोपाई जहां तक संभव हो 4 ग्रा. ट्राइकोडर्मा प्रति लीटर पानी की दर से अथवा 1 ग्रा. कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर उपचारित करें. पलेवा करके ड्रम सीडर से धान की शीघ्र पकने वाली किस्मों की 50 से 55 कि.ग्रा. प्रति हे बीज की दर से बुवाई करें. धान की 20-25 दिन वाली पौध की रोपाई प्रत्येक वर्गमीटर में 50-55 हिल तथा 2-3 पौधा प्रति हिल 3-4 सेमी. की गहराई तक करें.
लम्पी स्किन रोग के रोकथाम के लिए टीकाकरण प्रोग्राम
लम्पी स्किन रोग (एलएसडी) एक विषाणु जनित रोग है, जिसकी रोकथाम हेतु पशुपालन विभाग द्वारा टीकाकरण प्रोग्राम चलाया जा रहा है. सभी कृषक/ पशु पालक अपने निकटतम पशु चिकित्सालय से सम्पर्क कर इसकी रोकथाम संबंधी उपाय एवं टीकाकरण की जानकारी ले सकते हैं. कृषकों/ पशुपालकों के द्वारा पर पशुचिकित्सा उपलब्ध कराने हेतु विभाग के द्वारा मोबाइल वेटनरी यूनिट योजना का संचालन किया जा रहा है. इस योजना का लाभ लेने हेतु सभी कृषक,पशुपालक टोल फ्री हेल्पलाइन नं.- 1962 पर सम्पर्क पर योजना का लाभ ले सकते हैं. (लखनऊ से नवीन लाल सूरी)