उत्तर प्रदेश में 17 मार्च से लेकर 24 मार्च के बीच में बारिश और अलग-अलग हिस्सों पर ओलावृष्टि हुई. इस वजह से गेहूं, सरसों की फसल को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है. बारिश और ओलावृष्टि से जहां 20 से 25 फीसदी तक गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है. वहीं खेत में खड़ी गेहूं की फसल लेटने से भी किसानों को नुकसान हुआ है. हालांकि ये बारिश जायद की फसलों (Zayeds crops) के लिए वरदान भी साबित हुई है. लखनऊ कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अखिलेश दुबे ने बताया कि जायद की फसलों को बारिश से फायदा हुआ है. इन दिनों किसानों ने जायद सीजन में मक्का, उड़द, मूंग और सब्जियों की खेती की है.
जायद की फसलों (Zayeds crops) में तरबूज, चुकंदर, खरबूजा,खीरा,ककड़ी, लौकी, तोरई, भिंडी, मक्का, उड़द, मूंग, बैंगन और सूरजमुखी की खेती होती है. जायद की फसलों के लिए तापमान 35 से 35 डिग्री सेल्सियस बेहतर माना गया है. वहीं इस बार लखनऊ और कानपुर के क्षेत्र में जायद की फसलों की बुवाई फरवरी महीने से शुरू हो गई थी. पूर्वांचल के जिलों में 17 मार्च से लेकर 24 मार्च के बीच में बारिश तो हुई, लेकिन ओलावृष्टि नहीं हुई. ऐसे में किसानों के द्वारा बोई गई जायद फसल के लिए यह बारिश वरदान साबित हो रही है. इस वजह से जायद फसलों में सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ रही है. असल में बारिश के चलते मौसम में आए बदलाव से तापमान में गिरावट दर्ज हुई है, जिसका लाभ भी किसानों को हो रहा है. वही बारिश की वजह से किसानों को एक अतिरिक्त सिंचाई का भी लाभ हुआ है.
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उत्तर प्रदेश में जिन किसानों ने दिसंबर और जनवरी महीने में गन्ना काटने के बाद गेहूं की फसल बोई थी, उनके लिए भी बारिश वरदान साबित हो रही है. गेहूं की फसल अभी खेतों में हरी-भरी है, जिसके चलते हवा और ओलावृष्टि से नुकसान नहीं पहुंचा है. वहीं किसानों का सिंचाई का पैसा भी बच गया है. वरिष्ठ वैज्ञानिक अखिलेश दुबे ने बताया इस बारिश की वजह से गेहूं की फसल का उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद है. यहां तक की गेहूं की बालियों में दाने भी स्वस्थ होंगे. हालांकि बारिश से पश्चिम उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल को भी नुकसान पहुंचा है. किसान राहुल दुबे ने बताया खेत में बीज के लिए गन्ना की फसल खड़ी थी, लेकिन तेज हवा चलने से गन्ना खेत में ही लेट गया है, जिससे बीज के खराब होने का खतरा भी पैदा हो गया है.