हिमाचल प्रदेश में कई हिस्सों में बर्फबारी और बारिश का दौर जारी है. इससे आम जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है. खासकर यातायात व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है. मंगलवार को प्रदेश में चार राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 470 से अधिक सड़कें बंद रहीं. इससे लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि बर्फबारी से ठंड बढ़ गई है. लोग शरीर को गर्म रखने के लिए आग का सहारा ले रहे हैं. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, बारिश और बर्फबारी से प्रदेश में 398 ट्रांसफार्मर और 38 जल आपूर्ति योजनाएं बाधित हो गई हैं.
मौसम विभाग के अनुसार, हिमाचल में जनवरी पिछले 17 वर्षों में सबसे सूखा दर्ज किया गया, क्योंकि राज्य में सामान्य बारिश 85.3 मिमी के मुकाबले 6.8 मिमी बारिश हुई, जो 92 प्रतिशत कम है. जनवरी 1996 में बारिश की कमी 99.6 प्रतिशत थी और 2007 में बारिश की कमी 98.5 प्रतिशत थी. कुल मिलाकर, लाहौल और स्पीति में 153 सड़कें, शिमला में 134, कुल्लू में 68, चंबा में 61, मंडी में 46, सिरमौर में आठ, किन्नौर में दो और कांगड़ा में एक सड़कें बंद हैं. यानी इन सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही नहीं हो रही है.
मौसम कार्यालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में, खदराला में 4 सेमी, भरमौर में 3 सेमी, कुफरी में 2 सेमी, गोंडला में 1.3 सेमी और सांगला में 0.5 सेमी बर्फबारी हुई, जबकि कल्पा, कुकुमसेरी, नारकंडा और केलोंग में बर्फ के निशान मिले.
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शिमला होटल एंड टूरिज्म स्टेकहोल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमके सेठ ने फरवरी में अच्छे सीजन की उम्मीद जताते हुए कहा कि बर्फबारी के कारण शिमला में पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. पिछले सप्ताह में पर्यटकों की संख्या में 30-70 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. वहीं, पालमपुर में ओलावृष्टि हुई, जबकि राज्य के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हुई. मंडी और चौपाल में 10-10 मिमी, स्लैपर में 9 मिमी, भुंतर में 8.5 मिमी, सियोबाग में 8 मिमी, धर्मशाला में 7.7 मिमी और सुंदरनगर में 7 सेमी बारिश हुई.
न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहा. लाहौल और स्पीति के कुकुमसेरी में रात का सबसे कम तापमान शून्य से 8.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. स्थानीय मौसम कार्यालय ने 12 फरवरी तक राज्य में शुष्क मौसम की भविष्यवाणी की है. वहीं, बर्फबारी और बारिश ने किसानों और बागवानों को भी खुश कर दिया है, क्योंकि बर्फ को सेब के लिए सफेद खाद माना जाता है. साथ ही बारिश रबी की फसल के लिए फायदेमंद है. हालांकि, मैदानी क्षेत्रों में सूखे के कारण रबी की फसल प्रभावित हुई है.
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