भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) अगले सप्ताह से पंचायत स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान जारी करेगा. यानी अब किसान अपने गांव के मौसम का हाल जान पाएंगे. इससे देश के करोड़ों किसानों का सीधा फायदा होगा. कहा जा रहा है कि मौसम विज्ञान विभाग की इस कोशिश से फसलों की बर्बादी भी कम होगी. किसान मौसम खराब होने से पहले से अपनी उपज को सुरक्षित जगह पर स्टोर कर लेंगे. वहीं, आईएमडी की इस घोषणा से देश के किसानों की बीच खुशी की लहर है.
आईएमडी प्रमुख मृत्युजंय महापात्रा ने कहा कि मौसम कार्यालय सोमवार को 'हर हर मौसम, हर घर मौसम' पहल और जलवायु सेवाओं के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क भी लॉन्च करेगा. इसके अलावा आईएमडी अपनी 150वीं वर्षगांठ मनाने के लिए साल भर चलने वाले समारोहों की शुरुआत करेगा. हापात्र ने बताया कि भारत की तकनीकी क्षमता ने आईएमडी के लिए अपनी पूर्वानुमान क्षमता को ब्लॉक से पंचायत स्तर तक ले जाना संभव बना दिया है. इसका उद्देश्य 'पंचायत मौसम सेवा' के माध्यम से देश भर के हर गांव में कम से कम पांच किसानों से जुड़ना और उन्हें गंभीर मौसम की चेतावनी के अलावा अधिकतम और न्यूनतम तापमान, आर्द्रता और हवा की गति जैसे सभी मौसम मापदंडों के बारे में जानकारी प्रदान करना है.
मृत्युजंय महापात्रा ने कहा कि अंग्रेजी और हिंदी के अलावा 12 भारतीय भाषाओं में किसानों को पंचायत स्तर पर मौसम की जानकारी दी जाएगी. महापात्र ने कहा कि आईएमडी वर्तमान में ब्लॉक स्तर पर कृषि संबंधी, मौसम संबंधी टिप्पणियों और पूर्वानुमानों को प्रसारित करने में मदद कर रहा है. अब, हम एक कदम आगे बढ़ रहे हैं और पंचायत स्तर तक पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि पंचायत सचिवों, पंचायत सरपंचों और वार्ड सदस्यों को इसमें शामिल किया जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि आईएमडी ने 2013 में 120 शहरों के लिए नाउकास्ट - या तूफान के लिए गंभीर मौसम की चेतावनी शुरू की थी. महापात्र ने कहा कि अब तक, हमने देश भर के सभी जिलों और 1,200 शहरों और कस्बों के लिए सभी प्रकार के गंभीर मौसम के लिए नाउकास्ट कर दिया है. उन्होंने कहा कि हमारी योजना के तहत देश के किसी भी कोने में कोई भी व्यक्ति अगले सात दिनों और अगले कुछ घंटों के लिए मोबाइल ऐप के माध्यम से मौसम से जुड़ी कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है. इसके लिए मोबाइल ऐप पर किसानों को सिर्फ स्थान का नाम लिखना होगा या क्षेत्र का पिनकोड डालना होगा. इसके बाद मोबाइल स्क्रीन पर आपके गांव का पूर्वानुमान से जुड़ी जानकारी आ जाएगी. इसमें अधिकतम और न्यूनतम तापमान, आर्द्रता, हवा गति को कवर किया जाएगा. साथ ही गंभीर मौसम के लिए अलर्ट भी जारी होगा.
एक स्वतंत्र अध्ययन का हवाला देते हुए महापात्र ने कहा कि यदि वर्षा आधारित क्षेत्रों में एक छोटा किसान मौसम पूर्वानुमान का उपयोग करता है और उसके अनुसार कार्य करता है, तो उसे 12,500 रुपये का लाभ होता है. उन्होंने कहा कि हम तीन करोड़ किसानों तक पहुंच चुके हैं और इसका लाभ 13,300 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. कल्पना कीजिए कि अगर हम देश के सभी 10 करोड़ किसानों तक पहुंच सकें तो जीडीपी को कितना लाभ होगा.
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