मौसम विभाग में बढ़ते प्रदूषण के बीच गुड न्यूज़ सुनाई है. एनसीआर रीजन में वेस्टर्न डिस्टरबेंस में दस्तक दे दी है जिसके चलते हवा की गति में अब थोड़ी तेजी आएगी. दिवाली के कुछ समय बाद एनसीआर के कुछ इलाकों में हल्की-फुल्की बारिश होने की भी संभावना है. इन तेज हवाओं का सीधा-सीधा असर दिल्ली के प्रदूषण पर पड़ेगा. हवा की गति के साथ-साथ स्मॉग की परत भी हटने लगेगी.
वेस्टर्न डिस्टरबेंस के चलते अब पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होगी जिसके कारण मैदानी इलाकों में भी तापमान घटेगा. राजधानी दिल्ली में भी तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी. उधर हिमाचल प्रदेश में मौसम एक बार फिर करवट लेने वाला है. मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से प्रदेश के कई ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी और बारिश होने की संभावना जताई है. मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार प्रदेश में 8 नवंबर के बाद पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है. जिसके चलते शिमला समेत ऊपरी जिलों के ऊंचाई वाले कुछ स्थानों पर बर्फबारी होगी.
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मौसम वैज्ञानिक संदीप शर्मा ने बताया कि 7 नवंबर तक हिमाचल प्रदेश में मौसम के साफ बने रहने की संभावना है. वहीं इसके बाद 8 नवंबर से 10 नवंबर के बीच हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में बारिश और बर्फबारी होगी. उन्होंने कहा कि 8 नवंबर के बाद हिमाचल प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा. जिसके चलते जिला शिमला, किन्नौर, लाहौर स्पीति और चंबा के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी भी होगी. वहीं मंडी, कांगड़ा और जिला शिमला के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश होने की भी संभावना है. संदीप शर्मा ने कहा हालांकि इस दौरान व्हाइट स्प्रेड जैसी स्थिति देखने को नहीं मिलेगी, लेकिन मौसम खराब बना रहेगा और प्रदेश के तापमान में भी दो डिग्री सेल्सियस की गिरावट देखने को मिल सकती है. वहीं तापमान की बात करें तो प्रदेश में फिलहाल तापमान सामान्य बने हुए हैं.
ऊना में सबसे अधिक 30.8 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया तो वही केलांग में सबसे कम माइनस डिग्री सेल्सियस तापमान आज सुबह में दर्ज किया गया है. वहीं जिला शिमला में 19 डिग्री, कुल्लू में 18.6 डिग्री सेल्सियस, धर्मशाला में 27 डिग्री सेल्सियस के आसपास तापमान बना हुआ है. जो आम वर्षों के मुकाबले सामान्य है.
दिल्ली की बात करें तो लगातार पांच दिनों तक गंभीर वायु गुणवत्ता के बाद दिल्ली में प्रदूषण का स्तर मंगलवार सुबह थोड़ा कम हुआ और "बहुत खराब" श्रेणी में दर्ज किया गया. राष्ट्रीय राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 394 रहा, जो सोमवार शाम 4 बजे दर्ज किए गए 421 से मामूली सुधार है. मामूली गिरावट के बावजूद, PM2.5 की मात्रा राजधानी में सरकार द्वारा निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात से आठ गुना अधिक है. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की स्वस्थ सीमा से 30 से 40 गुना अधिक है.
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अनुसार, राजधानी में 1 नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है. तापमान में धीरे-धीरे गिरावट, प्रदूषण को रोकने वाली हवाओं और पंजाब और हरियाणा में फसल कटाई के बाद धान की पराली जलाने में बढ़ोतरी के कारण पिछले 10 दिनों में दिल्ली-एनसीआर में हवा की क्वालिटी में गिरावट आई है. दुनिया के राजधानी शहरों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता सबसे खराब है.
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