ऑफ सीजन टमाटर की खेती ने मिजोरम के किसानों को बनाया खुशहाल, नई तकनीक से बढ़ी कमाई

ऑफ सीजन टमाटर की खेती ने मिजोरम के किसानों को बनाया खुशहाल, नई तकनीक से बढ़ी कमाई

संरक्षित खेती का लक्ष्य टमाटर की खेती को व्यावसायिक तौर पर बढ़ाना है. संरक्षित खेती टमाटर की आपूर्ति को पूरा करने में मदद करती है. जिससे न सिर्फ बाजार में टमाटर की मांग पूरी होती है बल्कि किसानों को अच्छी आमदनी भी होती है. इस नई तकनीक से किसान खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं. 

टमाटर की खेती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 23, 2024,
  • Updated Apr 23, 2024, 1:24 PM IST

किचन में टमाटर की मांग हमेशा बनी रहती है. खाने को स्वादिष्ट बनाने और सलाद के रूप में टमाटर का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन अगर टमाटर की खेती की बात करें तो यह ठंड के मौसम में की जाती है. जिसके बाद साल भर उसे कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है. ऐसे में अगर आप ऑफ सीजन टमाटर की खेती करते हैं तो यह मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है. ऑफ सीजन टमाटर की खेती ने मिजोरम के किसानों को बनाया खुशहाल. आपको बता दें वहां के किसान इस नई तकनीक से खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.

टमाटर की संरक्षित खेती

संरक्षित खेती का लक्ष्य टमाटर की खेती को व्यावसायिक तौर पर बढ़ाना है. संरक्षित खेती टमाटर की आपूर्ति को पूरा करने में मदद करती है. जिससे न सिर्फ बाजार में टमाटर की मांग पूरी होती है बल्कि किसानों को अच्छी आमदनी भी होती है. इस नई तकनीक से किसान खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं. 

ये भी पढ़ें: Cluster Farming: क्लस्टर बेस्ड खेती बढ़ाएगी किसानों की आमदनी, सरकार नई कृषि योजना लाने की तैयारी में 

भारी वर्षा और तापमान के कारण प्री-खरीफ और खरीफ सीजन के दौरान खुले मैदान में टमाटर की खेती करने में समस्या होती है. जिससे अक्सर मिजोरम में फल की पैदावार में 70% तक गिरावट देखी जाती है. विस्तारित फसल वृद्धि अवधि यानी 120 दिन से 150 दिन और प्रभावी भूमि उपयोग के साथ खुले खेत में खेती की तुलना में संरक्षित वातावरण में संचयी फल उपज में लगभग 3.5 गुना अधिक वृद्धि हुई. संरक्षित परिस्थितियों में टमाटर की खेती अपनाने से सभी किसानों के लिए औसत संचयी टमाटर फल की उपज लगभग दोगुनी हो गई.

इन किसानों ने हासिल की सफलता

सभी किसानों में पू. थानमाविया ने सबसे अधिक फल उपज (संरक्षित स्थिति में 69.8 टन/हेक्टेयर और खेत की स्थिति में 20.25 टन/हेक्टेयर ) हासिल की. इसके बाद थांगकिमा (संरक्षित स्थिति में 66.4 टन/हेक्टेयर और 18.78) का स्थान रहा. इसलिए, जनजातीय उपयोजना के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के तहत लाइन विभाग के सहयोग से प्रौद्योगिकी को धीरे-धीरे किसानों के खेत में दोहराया गया. कुल मिलाकर, अनुकूलित किसानों ने 2.5-3 गुना अधिक उत्पादन हासिल किया. साथ ही 4.5 गुना अधिक शुद्ध आय और प्रारंभिक यानी प्रौद्योगिकी अनुकूलन से पहले की तुलना में 4 गुना अधिक रोजगार सृजन हासिल किया. संरक्षित वातावरण में ऑफ-सीजन टमाटर की खेती तकनीक की संभावित लाभप्रदता को महसूस करते हुए, टीएसपी कार्यान्वयन स्थलों के पड़ोसी गांवों के किसान वर्तमान में मिजोरम में सफल समुदाय-आधारित ऑफ-सीजन टमाटर की खेती के लिए अपना उद्यम शुरू कर रहे हैं.

MORE NEWS

Read more!