सरसों का शुद्ध तेल बेचकर ब्रांड बन रहीं महिला किसान, FPO से मिली कामयाबी

सरसों का शुद्ध तेल बेचकर ब्रांड बन रहीं महिला किसान, FPO से मिली कामयाबी

एफपीओ से जुड़ने के बाद महिलाओं को 80-90 हजार रुपये प्रति वर्ष की कमाई हो रही है. इसमें आम की बागवानी, सब्जियों की खेती औऱ सरसों की खेती का कमाई भी शामिल हैं. इस काम में महिला किसानों की भागीदारी बढ़ी है और ये किसान कामयाबी की नई कहानी गढ़ रही हैं. आसपास के अन्य किसान इनसे प्रेरणा ले रहे हैं.

सरसों तेल की पैकिंग करती महिला किसान          फोटोः किसान  तकसरसों तेल की पैकिंग करती महिला किसान फोटोः किसान तक
पवन कुमार
  • Ranchi,
  • Jan 15, 2023,
  • Updated Jan 15, 2023, 4:09 PM IST

झारखंड में महिला किसानों ने अपनी लगन औऱ मेहनत से बदलाव की कहानी लिखी है. आज मेहनत का ही नतीजा है कि उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है. झारखंड की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं. झारखंड के गुमला जिले में महिला किसानों ने यह कारनामा किया है. यहां महिला किसानों के बनाए गए सरसों तेल गुमला के लेकर राजधानी रांची तक के ग्राहकों की पसंद बनते जा रहे हैं. यहां की महिलाएं किसान उत्पादक संगठन (FPO) से जुड़कर काम कर रही हैं. महिला किसान नई तकनीकों का इस्तेमाल करके उन्नत कृषि कर रही हैं. साथ ही अच्छी कमाई भी कर रही हैं. 

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गुमला जिले में साल 2020 में गुमला महिला किसान स्वावलंबन ट्र्स्ट का गठन किया गया था. इसके बाद से इसमें महिला किसानों की संख्या बढ़ती चली गई और आज इस किसान उत्पादक समूह से 2900 किसान जुड़े हुए हैं. किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है. प्रदान नामक संस्था द्वारा यहां पर यह महिला समिति बनाई गई थी. इस संस्था की मदद से यहां महिलाएं खेती करती हैं. साथ ही यहां पर बागवानी को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2007-08 में सरकार की ओर से चलाई जाने वाली अलग-अलग योजनाओं में आम की बागबानी कराई गई थी. इससे अभी फल का उत्पादन हो रहा है. 

ऐसे शुरू हुआ सरसों तेल का उत्पादन

जिले के रायडीह गुमला और घाघरा प्रखंड में फिलहाल सरसों की खेती की जाती है. इसे बढ़ावा देने और सरसों तेल निकालने के लिए मिल की शुरुआत की गई. गुमला में प्रदान संस्था के साथ काम करने वाले अर्पण बताते हैं कि सरसों एक ऐसी फसल है, जिसे कम लागत में किसान कर सकते हैं और इससे अच्छा मुनाफा भी हो सकता है. साथ ही, यह हर घर में इस्तेमाल भी किया जाता है. इसलिए सरसों को चुना गया और सरसों तेल निकालने की यूनिट लगाई गई. तेल निकालने की मशीनें गुमला और घाघरा में लगी हुई हैं. 

80-90 हजार की औसत कमाई

अर्पण बताते हैं कि एक संस्था द्वारा पहले ही यहां पर मशीन लगाई गई थी. हालांकि वो चलाई नहीं जा रही थी. ज‍िसे किसान उत्पादक समूह की महिलाओं ने लिया और सफलता पूर्वक संचालन किया. फिलहाल एफपीओ से जुड़ने के बाद महिलाओं को 80-90 हजार रुपये प्रति वर्ष की कमाई हो रही है. इसमें आम की बागवानी, सब्जियों की खेती और सरसों की खेती की कमाई भी शामिल हैं. जो किसान एक साल में एक बार से अधिक सब्जी उगा रहे हैं, उनकी कमाई और अधिक है. इतना ही नहीं, इन इलाकों में अब काफी संख्या में किसान परिवार खेती से जुड़ रहे हैं. इसलिए पलायन में भी कमी आ रही है. समूह के जरिये महिलाएं सरसों की खेती के अलावा मटर, टमाटर, फूलगोभी और पत्ता गोभी की सब्जी उगाती हैं.

400 मीट्रिक टन का हुआ उत्पादन

अर्पण बताते हैं कि एफपीओ द्वारा वर्ष 2021 में 400 मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन किया गया था. ये वो आंकड़े हैं जो एफपीओ द्वारा बेचे गए हैं. इसके अलावा महिलाओं ने खुले बाजार में भी अपने उत्पाद की बिक्री की थी. जबकि आम की बात करें तो वर्ष 2020 में 200 मीट्रिक टन और वर्ष 2022 में 30 मीट्रिक टन आम का उत्पादन हुआ था. गुमला, घाघरा और रायडीह प्रखंड में 2500 किसानों ने 1150 एकड़ में आम की बागवानी की है. पिछले साल एफपीओ का टर्नओवर 87 लाख रुपये था, इस साल अब तक यह 79 लाख पर पहुंच चुका है. इस बार एक करोड़ रुपये का टर्नओवर होने की उम्मीद है.  

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