Success Story: डबल कमाई वाली इस फसल ने बदली फर्रुखाबाद के किसान की किस्मत! जानिए कैसे

Success Story: डबल कमाई वाली इस फसल ने बदली फर्रुखाबाद के किसान की किस्मत! जानिए कैसे

बीते चार साल से लौकी की खेती करने वाले फर्रुखाबाद के किसान संजू बताते हैं कि लौकी का इस्तेमाल सब्जी के अलावा रायता और हलवा जैसी चीजों को बनाने में भी किया जाता हैं. इसलिए इस सब्जी की डिमांड 12 महीने रहती है.

फर्रुखाबाद के भोला नगला निवासी किसान संजू (फोटो- किसान तक)
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Apr 27, 2024,
  • Updated Apr 27, 2024, 3:30 PM IST

Bottle Gourd Farming: परंपरागत खेती की तुलना में अब अधिकतर किसान नकदी फसलों को करना काफी पसंद कर रहे हैं. वहीं लौकी की खेती आज के तारीख में बेहतर विकल्प साबित हो रही है. इसमें किसान को कम मेहनत में ज्यादा फायदा होता है. इस क्रम में फर्रुखाबाद जिले के एक किसान लौकी की खेती से दोहरी कमाई कर रहा है. फर्रुखाबाद के कमालगंज क्षेत्र के भोला नगला निवासी किसान संजू ने बताया कि एक बीघे में लौकी खेती करने पर 5 हजार रुपये की लागत आती है, जबकि 50 से 60 हजार रुपये तक की फसल बिक जाती है.

एक बीघे में 5 हजार की लागत

संजू ने बताया की वह लौकी की अगैती फसल के लिए नर्सरी तैयार करते हैं. जिसकी खेतों में रोपाई करने के करीब एक माह में ही लौकी निकलने लगती हैं. आमतौर पर लौकी बाजार में महंगी बिकती हैं. जिससे किसानों को अच्छा खासा मुनाफा होता है. दूसरी ओर यहां तैयार नर्सरी में रोग भी कम लगते है जिससे लागत भी कम लगता है. जानकारी देते हुए भोला बताते है की दूसरे फसलों की अपेक्षा इसमें रुपये भी कम लगाने पड़ते हैं, अगर समय से लौकी की फसल की बुवाई की जाए तो 5 हजार रुपये की लागत आती है. वहीं प्रति बीघा 50 से 60 हजार रुपये तक की फसल बिक जाती हैं.

लौकी के बीजों से अच्छी कमाई

उन्होंने बताया कि अगर तीन लौकी की फसल बाजार में महंगे दामों पर बिकती है. इसके बाद जब लौकी बड़ी होकर पकने लगती है. तो वह इन लौकी को फोड़कर इसके अंदर से निकलने वाले बीजों को अच्छे से सुखाकर बाजारों में बिक्री करते हैं. जिससे उन्हें डबल कमाई हो जाती है. वहीं दूसरी ओर लौकी के पौधे जो की खेत में बने रहते हैं. यह जैविक उर्वरक का कार्य करते हैं और दूसरी फसले भी जोरदार तरीके से उत्पादन देती है. किसान संजू ने आगे बताया कि इसके पौधे लता बेल जैसे फैलते हैं. इसलिए इसे सब्जियों में रखा गया है. 

हर सीजन में मिलने वाली सब्जी है लौकी

बीते चार साल से लौकी की खेती करने वाले फर्रुखाबाद के किसान संजू बताते हैं कि लौकी का इस्तेमाल सब्जी के अलावा रायता और हलवा जैसी चीजों को बनाने में भी किया जाता हैं. इसलिए इस सब्जी की डिमांड 12 महीने रहती हैं. इसकी पत्तिया, तने व गूदे से अनेक प्रकार की औषधियां बनायी जाती है. पहले लौकी के सूखे खोल को शराब या स्प्रिट भरने के लिए उपयोग किया जाता था. यह हर सीजन में मिलने वाली सब्जी हैं. इस सब्जी की मांग बाजार में हर समय काफी बड़े स्तर पर रहती है. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि  छोटे और बड़े किसान लौकी की आसान तरीके से खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं. 

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