8 एकड़ में गुलाब की खेती करता है MP का यह किसान, सालाना 20 लाख रुपये की हो रही कमाई

8 एकड़ में गुलाब की खेती करता है MP का यह किसान, सालाना 20 लाख रुपये की हो रही कमाई

नर्मदापुरम जिले की इटारसी तहसील के तीखड़ गांव के रहने वाले किसान सुधीर वर्मा वर्तमान में 8 एकड़ खेत में गुलाब की खेती करते हैं और उनके करीब 800 ग्राहक फिक्‍स हैं, जो उनसे फूल खरीदते हैं. साथ ही वह गुलाब जल बनाकर भी बेचते हैं. इससे वह सालाना 20 लाख रुपये की आय हासिल कर रहे हैं.

gulab ki kheti rose farminggulab ki kheti rose farming
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 15, 2025,
  • Updated Mar 15, 2025, 12:38 PM IST

वैसे तो गुलाब के फूलों की डिमांड सालभर बनी रहती है, लेकिन खासकर तीज-त्‍योहारों पर डिमांड में भारी ज्‍यादा उछाल आ जाता है. साथ ही दाम भी महंगे हो जाते हैं, जिससे मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है. आम दिनों में भी गुलाब के फूल की कीमत सामान्‍य फूलों के मुकाबले ज्‍यादा होती है, इ‍सलिए इसकी खेती बहुत ही फायदेमंद होती है. आज हम आपको एक ऐसे किसान की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्‍होंने 23 साल पहले पार‍पंरिक खेती से अलग हटकर गुलाब की खेती शुरू की और आज वह और उनका परिवार गुलाबा से सालाना 20 लाख रुपये कमा रहा है.

सफलता की यह कहानी मध्‍यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले की इटारसी तहसील के तीखड़ गांव के रहने वाले किसान सुधीर वर्मा की है. वर्तमान में वह 8 एकड़ खेत में गुलाब की खेती करते हैं और उनके करीब 800 ग्राहक फिक्‍स हैं, जो उनसे फूल खरीदते हैं. सुधीर को गुलाब की खेती से फायदा होता देख आसपास के क्षेत्र के अन्‍य किसान भी गुलाब की खेती करने लगे हैं.

गेहूं-सोयाबीन से कम होता था मुनाफा

दैनिक भास्‍कर की रिपोर्ट के मुताबिक, सुधीर ने बताया कि वह गुलाब की खेती से पहले गेहूं और सोयाबीन की खेती करते थे, जिससे उन्‍हें प्रति एकड़ सिर्फ 35 हजार रुपये की कमाई ही होती थी. साल 2001 की बात है, जब उन्‍होंने कृषि‍ अधि‍कारियों से बातचीत की तो उन्‍होंने फूलों की खेती की जानकारी दी और मामला जम गया. इसके बाद उनहोंने विभाग की मदद से फूलों की खेती की तकनीक सीखी.

उन्‍होंने नोएडा के IIHT और लखनऊ के सीमैप से ट्रेनिंग ली और खेती की शुरुआत पहले दिल्ली, कोल्हापुर, नागपुर समेत कई शहरों में खेती देखी. वहीं, उन्‍होंने राष्ट्रपति भवन के अमृत गार्डन (पूर्व में मुगल गार्डन) और नागपुर एनआरसीसी से फूलों की खेती की तकनीक सीखी. महाराष्ट्र के सांगली और सतारा में भी खेती का प्रशिक्षण लिया.

शुरुआत में 13 गुलाब के पौधे लगाए

फिर 2001 में 13 गुलाब के पौधों के साथ खेती शुरू की. आज वह 8 एकड़ खेत में गुलाब के फूल उगाते हैं और खुद ही गुलाब जल बनाकर बाजार में बेचते हैं, जिससे सालाना 20 लाख रुपये आय हो रही है. उन्‍होंने 8 लोगों को रोजगार भी दिया है, जो उनके खेत में काम करते हैं. सुधीर ने बताया कि अगर फूल नहीं बिक पाते हैं तो इनसे गुलाब जल तैयार किया जाता है. 10 किलो गुलाब से 5 लीटर गुलाब जल बनता है और एक लीटर गुलाब जल 300 रुपये में बिकता है. वह इसे मुंबई और गुजरात में भी सप्‍लाई करते हैं.

20 साल पहले गुलाब जल की मशीन खरीदी

उन्‍होंने 20 साल पहले दिल्ली से गुलाब जल बनाने की मशीन खरीदी थी. उस समय राष्ट्रपति भवन के अमृत उद्यान में सीमैप लखनऊ ने प्रदर्शनी लगाई थी, जिसमें गुलाब जल की अलग-अलग मशीनें भी दिखाई गईं, तब उन्‍होंने 65 हजार रुपये में मशीन खरीदी थी. मशीन से आज भी उन्‍हें फायदा हो रहा है. सुधीर ने कहा कि वैसे तो गुलाब का पौधा एक महीने में फूल देने लगता है, लेकिन अच्‍छी क्‍वालिटी की पैदावार के लिए 6 महीने का समय लगता है.

कोरोना काल में आधी हो गई थी बिक्री

गुलाब की खेती के लिए जल्दी पानी छोड़ने वाली मिट्टी की जरूरत रहती है. शेरा मिट्टी और रेतीली मिट्टी इसके लिए बेस्‍ट मानी जाती हैं. अच्छी देखभाल करने पर गुलाब की फसल 7 से 8 साल तक पैदावार देती है. ठीक से देखरेख नहीं की जाए तो 5 साल में ही पौधे खराब हो जाते हैं. किसान सुधीर ने बताया कि कोरोना काल में फूलों की बिक्री घटकर आधी हो गई थी. उस समय वह रोजाना फूल तोड़कर खेतों में ही फैला देते थे, लेकिन समय के साथ बिक्री फिर सामान्‍य हो गई और पहले जैसा मुनाफा होने लगा. 

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