नासिक में किसान ने एक साथ की 40 फलों की खेती, अगले 10 साल की कमाई का बना लिया जुगाड़

नासिक में किसान ने एक साथ की 40 फलों की खेती, अगले 10 साल की कमाई का बना लिया जुगाड़

अंगूर के लिए मशहूर नासिक में किसान ने की सेब की खेती, 40 फलों पर लगाया दांव पिंपलगांव बसवंत से महज आठ किलोमीटर दूर एक गांव है पालखेड चिल्ली. इसी गांव में भरत बोलिज परिवार के साथ रहते हैं. खास बात यह है कि बोलिज, जो एक शिक्षाविद हैं, केमिस्ट्री में एमएससी हैं और सांगोला के निजी कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे. लेकिन बीच में कोरोना संकट के बाद उनकी नौकरी खत्मी हो गई. ऐसे में घर पर बैठना पड़ा. उसके बाद उन्होंने खेती में कुछ नया करने का फैसला किया.

नासिक में किसान ने पहली बार उगाया सेब
क‍िसान तक
  • Nashik,
  • Mar 07, 2024,
  • Updated Mar 07, 2024, 7:12 PM IST

नासिक जिले में कैलिफोर्निया के नाम से जाना जाने वाला निफाड तालुका अंगूर की खेती के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन पिछले कुछ सालों से तालुका में अंगूर उत्पादकों को प्रकृति की अनियमितताओं से भारी नुकसान हुआ है. इस संकट से उबरने के लिए निफाड तालुका के किसान भरत बोलिज ने फलों की खेती में एक और अलग प्रयोग किया है. हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में पैदा होने वाले सेब की खेती नासिक की धरती पर सफलतापूर्वक की गई है. बोलिज़ ने ढाई एकड़ ज़मीन में सेब के साथ-साथ लगभग चालीस प्रकार के फलों की खेती की है.

पिंपलगांव बसवंत से महज आठ किलोमीटर दूर एक गांव है पालखेड चिल्ली. इसी गांव में भरत बोलिज परिवार के साथ रहते हैं. खास बात यह है कि बोलिज, जो एक शिक्षाविद हैं, केमिस्ट्री में एमएससी हैं और सांगोला के निजी कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे. लेकिन बीच में कोरोना संकट के बाद उनकी नौकरी खत्मी हो गई. ऐसे में घर पर बैठना पड़ा. उसके बाद उन्होंने खेती में कुछ नया करने का फैसला किया. बोलिज़ ने वर्ष 2020 में अमरूद लगाया और उन्होंने खुद को पूरी तरह से खेती के लिए समर्पित करने का फैसला किया.

कई फसलों की शुरू की खेती 

अमरूद के बाद पूरा समय खेती में लगाने का निर्णय लेकर धीरे-धीरे एक-एक कई फलों की खेती शुरू कर दी. अमरूद, कश्मीरी लाल सेब के बाद देशी इलायची केले की खेती शुरू की. ऐसा करने से खेत में चालीस से अधिक प्रकार के फलों की खेती हुई. 2022 के आसपास सेब की हिमालयन शिमला अन्ना किस्म के 30 पौधे लगाए गए. दिलचस्प बात यह है कि नासिक जिले की जलवायु गर्म और कुछ हद तक आर्द्र है, लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी सेब की खेती का प्रयोग सफल रहा है. फिलहाल बोलिज के ढाई एकड़ के खेत में 40 तरह के फलों के पेड़ हैं, जिनमें खजूर, तीन तरह के संतरा, पांच से छह तरह की मौसंबी, 5 तरह के नारियल और सीताफल शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: नास‍िक की क‍िसान ललिता अपने बच्चों को इस वजह से खेती-क‍िसानी से रखना चाहती हैं दूर

बाग का प्रबंधन कैसे करते हैं 

भारत बोलिज़ का कहना है कि वो शिक्षित हैं. उन्होंने कृषि का गहन अध्ययन किया और फलों की खेती की है. बोलिज के साथ गाय-भैंस का साथ भी है. चूंकि उसी गोबर का उपयोग से खाद बना कर खेती में इतेमाल करते हैं. उनका कहना है कि व्यापारी उनके दरवाजे पर जाकर फसल खरीदी करते हैं. उनका कहना है कि वो फलों को  बाजार में बेचने नहीं ले जाते. न तो वो कभी  ऑनलाइन बेचते हैं. क्योंकि अच्छीब गुणवत्ता  की वजह से घर से ही बिक रहा है. जितने भी लोग यहां आकर खरीदारी करते हैं वो कहते हैं कि ताजे फल ले जा रहे हैं. 

क्यों की 40 फलों की खेती  

नासिक जिले में अंगूर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. ऐसे में बोलिज ने दूसरे फलों की खेती करने का फैसला क्यों किया. इस पर उन्होंने कहा कि चालीस से अधिक प्रकार के फलों की खेती की गई है. ऐसे में  उत्पादन निरंतर जारी रहता है. दूसरी ओर, पिछले कुछ वर्षों में हमारे क्षेत्र में बेमौसम बारिश बढ़ती जा रही है. ऐसे में सिर्फ एक फसल पर ध्यान केंद्रित करना संभव नहीं है. यदि वह फसल चली गई तो भारी आर्थिक नुकसान होगा. ऐसे में अलग-अलग फलों की खेती लाभदायक हो जाती है. अगर बेमौसम बारिश हुई तो एक या दो फसलें प्रभावित होंगी, इसलिए एक फल खराब होने पर दूसरा फल लगेगा. खास बात यह है कि इस तरह की फलों की खेती से अगले दस साल तक खेत में किसी भी तरह की खेती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

ये भी पढ़ें: Farmers Protest: दिल्ली-हरियाणा के आंदोलनकारियों को महाराष्ट्र के किसानों का समर्थन, प्याज की एमएसपी मांगी

 

MORE NEWS

Read more!