इन मुस्कुराते चेहरों के बीच आप जिस शख्स को देख रहे हैं वो हैं बहादुर अली. हजारों करोड़ों की कंपनी IB Groups के मालिक. लेकिन हजारों करोड़ की कंपनी बनाने के पीछे बहादुर अली का जो संघर्ष रहा है आप शायद उससे रूबरू न हों.
बहादुर अली ने अपने संघर्ष और विजन के दम पर जो साम्राज्य खड़ा किया है उसे पाना हर किसी का सपना होता है. पिता की छोटी सी साइकिल की दुकान पर काम करते हुए बहादुर अली ने न सिर्फ सपना देखा बल्कि उसे पूरा करने के लिए दिन-रात एक भी किया.
आईबी ग्रुप के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर बहादुर अली ने आज जो कुछ भी हासिल किया है उसमें बरसों की मेहनत है. बहादुर अली की कहानी हमें सिखाती है किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए. कभी-कभी उम्मीद की एक किरण भी आपके लिए कभी न छटने वाले अंधेरे को भी दूर करने में सक्षम होती है.
कड़ी मेहनत से सपनों को साकार किया
एक इंटरव्यू में बात करते हुए बहादुर अली ने कहा था, 'मेरे जीवन में कई मुश्किलें आईं, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी. मैंने हमेशा अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया और मेहनत की. उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत की और अपने सपनों को साकार किया. मैंने कभी भी अपने सपनों को छोड़ने का विचार नहीं किया. मैंने हमेशा अपने काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत से किया.'
समाज सेवा में भी अव्वल: कोरोना के दौरान ग्रुप ने हजारों लोगों को दी मदद
अली सिर्फ बिजनेसमैन ही नहीं हैं बल्कि दान पुण्य में भी भरपूर विश्वास रखते हैं. वे एजुकेशन, हेल्थ और डेवलेपमेंट से संबंधित कई प्रोग्राम और एनजीओ को सपोर्ट करते हैं. कोरोना के समय में भी उन्होंने हजारों लोगों की मदद की थी.
कर्मचारियों के लिए लाए कोरोना आश्रय पॉलिसी
कोविड के समय ग्रुप ने अपने कर्मचारियों के लिए कोरोना आश्रय पॉलिसी की शुरुआत की थी. जिसमें कोविड-19 से संक्रमित कर्मचारियों को सैलरी दी गई साथ ही उनकी बीमारी का खर्च भी उठाया गया था. कोरोना के दौरान जिन कर्मचारियों का निधन हो गया था उनके लिए भी बहादुर अली की तरफ से कई सपोर्ट दिए गए थे. IB ग्रुप ने रेमडेसिविर इंजेक्शन भी मुफ्त में बांटे थे. जब लॉकडाउन लगाया गया था, तब आईबी ग्रुप ने ड्यूटी पर तैनात कोरोना वॉरियर्स को दूध, छाछ, अंडे, चिकन भी बांटे थे.
कभी हार नहीं माननी चाहिए
बहादुर अली ने बताया कि उनकी प्रेरणा का स्रोत उनके माता-पिता थे. उन्होंने कहा, 'मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे प्रेरित किया और मुझे सिखाया कि कभी हार नहीं माननी चाहिए. उनकी सीख ने मुझे हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.' उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने अपने माता-पिता के सपनों को साकार किया और उन्हें गर्व महसूस कराया. बता दें, बहादुर अली के पिता मौत ने उनके परिवार को तोड़कर रख दिया. पिता की साइकिल पंचर की दुकान थी, जिसकी जिम्मेदारी दो भाइयों पर थी. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक ऐसे रास्ते पर निकले जिसकी मंजिल आसान नहीं थी.
दोस्त और परिवार का हमेशा सपोर्ट रहा
बहादुर अली हमेशा अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और दोस्तों को देते हैं. उनका कहना है कि हमें हमेशा अपने परिवार और दोस्तों का समर्थन लेना चाहिए और उनकी मदद से आगे बढ़ना चाहिए. बहादुर अली ने न सिर्फ पोल्ट्री इंडस्ट्री में क्रांति लाई है, बल्कि लाखों लोगों की सोच और जीवन को भी बदला है.. उनका संघर्ष, उनकी मेहनत, और उनकी लगन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने का हौसला रखता है.
1984 में एक छोटे चिकन फार्म से शुरुआत करने वाले बहादुर अली का बिजनेस आज 11000 करोड़ का है. उनकी कंपनी देश की तीसरी सबसे बड़ी बॉयलर कंपनी है.