देश के रेहड़ी पटरी पर फल बेचने वालों या कामगारों, श्रमिकों, शिल्पकारों की आर्थिक स्थिति सुधारने और उनके काम को बढ़ाने के लिए पीएम स्वनिधि योजना चलाई जा रही है. केंद्र सरकार की इस योजना के जरिए मध्य प्रदेश के भोपाल में रहने वाले फल विक्रेता छोटेलाल साहू की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और उनका काम बढ़ने से आमदनी में भी बढ़ोत्तरी हुई है. बता दें कि पीएम स्वनिधि योजना के तहत देशभर के 3 लाख से ज्यादा कामगारों को लाभ मिला है.
पीएम स्वनिधि योजना के तहत पथ विक्रेता बिना गारंटी के लोन के माध्यम से आर्थिक तौर पर मजबूत होकर अपने कारोबार को एक नई दिशा दे रहे हैं. जीवन में बदलाव की ऐसी ही कहानी है मध्य प्रदेश के भोपाल में फल की रेहड़ी लगाने वाले छोटेलाल साहू की. आर्थिक तंगी से परेशान छोटेलाल ने योजना के जरिए बिना गारंटी के 10 हजार रुपये का लोन लिया और कारोबार बढ़ाया. इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ. लाभार्थी छोटेलाल ने बताया कि वह भोपाल के आनंदनगर इलाके में रहते हैं. उन्हें पीएम स्वनिधि योजना की जानकारी पर नगर निगम दफ्तर से 10 हजार रुपये का लोन लेने के लिए फॉर्म भरा.
छोटेलाल साहू ने बताया कि लोन के 10 हजार रुपये से उन्होंने फलों की वैराइटी बढ़ाई और बिक्री बढ़ने पर लोन की रकम भर दी. इसके बाद उन्होंने 20 हजार रुपये का लोन लिया. इस रकम से धंधा अच्छा चल निकला. उन्होंने कहा कि हर दिन वह लगभग 25 डिजिटल पेमेंट लेते हैं. डिजिटल पेमेंट लेने से उन्हें हर महीने करीब 100 रुपये का कैशबैक भी मिलता है. उन्होंने कहा कि पीएम स्वनिधि योजना के जरिए बिना गारंटी मिलने लोन से उनका कारोबार अच्छा चल निकला है और उनकी आय में भी बढ़ोत्तरी हुई है.
अपने हाथों और औज़ारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों को शुरू से अंत तक सहायता प्रदान करने के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना 17 सितम्बर 2023 को शुरू की गई थी. योजना के तहत लाभार्थियों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता, कौशल उन्नयन, टूलकिट प्रोत्साहन, क्रेडिट समर्थन, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार
30 जनवरी 2024 तक पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर सफल पंजीकरणों की संख्या 3.23 लाख के पार पहुंच चुकी है. इन लाभार्थियों को 79 लाख लोन हुए वितरित किए जा चुके हैं. जबकि, 2028 तक योजना से जुड़ने वाले लाभार्थियों की संख्या 30 लाख के पार ले जाने का लक्ष्य है. योजना पर 2030 तक खर्च की जाने वाली रकम 13,000 रुपये तय की गई है. अगामी वित्त वर्ष 2024-25 के लिए योजना पर 4,824 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य तय किया गया है.
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