बिहार में भूमि सर्वेक्षण को लेकर प्रदेश के किसानों ने अपनी बातें रखीं. जहां कुछ किसानों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया, वहीं कुछ किसानों ने इसे सरकारी कर्मियों के कमाई का एक बेहतर विकल्प बताया. वहीं किसानों का कहना है कि 1967 से 1971 के दौरान भी जमीन का सर्वे हुआ था. उस दौरान कई किसानों की जमीन किसी दूसरे के नाम पर चढ़ा दिया गया था.