दलहनी फसलें मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए बेहतर मानी जाती है क्योंकि इनमें नाइट्रोजन फिक्सेशन के गुण पाए जाते हैं. वही दालें प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत है. इस तरह जन और जमीन दोनों की सेहत के लिए दलहनी फसलों की खेती जरूरी है. दलहनी फसलों में अरहर, मूंग ,उड़द, चना एवं मटर हमारी भूमि के लिए संजीवनी भी हैं. उड़द और मूंग कम समय में तैयार हो जाती है. वही 2 से 3 तुडाइ के बाद खेत में पलट देने से यह हरी खाद का भी काम करती है. खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ यह फसल पोषण के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसीलिए डबल इंजन की सरकार दलहनी फसलों की खेती पर खाता जोर दे रही है. किसानों को दलहनी फसलों की खेती के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है. हाल ही में केंद्र सरकार के द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की गई जिसमें दलहनी फसलों पर खास ध्यान दिया गया है.
दलहनी फसलों की खेती की वजह से हमारी मिट्टी को कई पोषक तत्व मिलते हैं. इसके अलावा पशुओं के लिए हरे चारे और खेतों के लिए हरी खाद का काम करती हैं. वही अरहर का प्रयोग खेतों में छाजन, जलावन और झाड़ू बनाने के काम भी आता है. दलहनी फसलें प्रोटीन का एक अच्छा और स्रोत होती है. इसी वजह से सरकार इन फसलो की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. हाल के दिनों में दलहनी फसलों के दाम अच्छे होने के चलते किसानों को खूब मुनाफा भी हो रहा है.
जायद ,खरीफ और रबी सीजन में उड़द और मूंग की खेती संभव है. कम अवधि में होने वाली सह:फसल के लिए यह पूरी तरह से उपयुक्त है. कम खाद एवं पानी की जरूरत की वजह से इसकी खेती में श्रम और संसाधन की बचत भी होती है. वहीं किसानों को प्रोटीन से भरपूर फसल मिलने से अतिरिक्त फसल के लिए लाभ में मिलता है. दलहनी फसलों की जड़ों में ग्रुप में ग्लोमेलिं प्रोटीन पाया जाता है जो मिट्टी के कण को जोड़ें रखता है. इससे मिट्टी का क्षरण भी नहीं होता है और जल संचयन क्षमता बढ़ती है तथा मिट्टी का पीएच मान भी संतुलित रहता है.
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केंद्र सरकार के द्वारा हाल के दिनों में दलहनी फसलों की एमएसपी में वृद्धि की गई है. न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा के दौरान दलहन फसलों का विशेष ध्यान रखा गया है. मूंग के समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल सबसे ज्यादा वृद्धि की गई है . 2023-24 में मूंग की फसल की एमएसपी को बढ़ाकर ₹8558 कर दिया गया है. इसी तरह अरहर का मूल्य 6600 से बढ़ाकर ₹7000 और उड़द का 6600 से बढ़ाकर ₹6950 प्रति क्विंटल कर दिया गया है.
केंद्र सरकार की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दलहन का उत्पादन बढ़ाकर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्यरत है. उत्तर प्रदेश में दलहनी फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कार्य योजना तैयार की गई है. 2016-17 से 2020-21 के दौरान दलहन का उत्पादन 23.9 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 25.34 लाख मीट्रिक टन हो गया. प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 9.5 क्विंटल से बढ़कर 10.65 क्विंटल हो गई है. योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में 5 साल के लिए अलग-अलग लक्ष्य रखा गया है. इन 5 सालों में दलहन का रकबा 28.84 लाख हेक्टेयर करने का है. वही प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 12.41 क्विंटल और उत्पादन 35.79 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया है.
उत्पादन की गुणवत्ता के साथ-साथ बीज के महत्व दलहन की फसलों के लिए जरूरी है. इसीलिए किसानों को सर्टिसाइड एवं फाउंडेशन बीज के वितरण में वृद्धि की गई है. किसानों को यह बीज अनुदानित दर पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके साथ ही दलहनी फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए अंत: फसली एवं जायद फसलों में उड़द और मूंग की फसलों को प्रोत्साहन दिया गया है. असमतल भूमि पर स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का प्रयोग करते हुए उत्पादन में वृद्धि इसके साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी जैसे कदम से यह लक्ष्य हासिल होंगे.