उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अस्सी और वरुणा नदी को पौराणिक नदी के तौर पर मान्यता प्राप्त है. इन दोनों नदियों की साफ-सफाई और इनके तटों पर हरियाली विकसित करने के साथ-साथ अब पार्क भी बनाए जाएंगे. गंगा की तरह नदियों के तट भी पर्यटन के केंद्र बनेंगे. वाराणसी में लुप्त होने की कगार पर खड़ी अस्सी (Assi river) और गंदगी का पर्याय बन चुकी वरुणा की पीड़ा को एनजीटी ने समझा है. इसके लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशन में सेंटर फॉर एनवायरमेंट मैनेजमेंट डिग्री इको सिस्टम (सीईएमडीई) ने पूरी कार्य योजना तैयार की है.
एनजीटी के निर्देशन में दोनों नदियों के पुनरुद्धार और सुंदरीकरण के लिए कार्य योजना को तैयार करने की जिम्मेदारी सीईएमडीई को दी गई है. सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता राजेश यादव ने बताया सीईएमडीई की टीम ने निरीक्षण के बाद परियोजना के लिए बजट का प्रस्ताव राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को भेजा है. बजट मिलने के बाद कार्य शुरू हो जाएगा. नदी के भीतर पत्थर व जाली लगाने के साथ ही बायोडायवर्सिटी पार्क भी विकसित किया जाएगा जिससे जीव जंतुओं का संरक्षण होगा और नदियों के किनारे विकसित होने वाले पार्क में औषधीय पौधे भी लगाए जाएंगे. दोनों नदियों की सिल्ट की सफाई का काम भी किया जाएगा. 5 ब्लॉकों के 39 गांव से होकर गुजरने वाली वरुणा नदी के 20 किलोमीटर तक तथा अस्सी नदी के 8 किलोमीटर तक यह कार्य होगा.
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वाराणसी दुनिया के पुरातन शहरों में से एक माना जाता है तो वहीं यहां पर पौराणिक महत्व की नदी अस्सी अब लुप्त होने के कगार पर है. वाराणसी में गंगा ही नहीं बल्कि दो और नदियां भी बहती हैं. वरुणा और अस्सी गंगा की दोनों सहायक नदियां इस समय संकट की स्थिति से गुजर रही हैं. वाराणसी के पूर्वी हिस्से में गंगा नदी बहती है तो वहीं दक्षिणी छोर पर अस्सी नदी मिलती है जबकि वरुणा नदी उत्तरी सीमा बनाती है. अस्सी नदी पहले अस्सी घाट के पास गंगा में मिलती थी पर गंगा कार्य योजना के बाद से मोड़कर लगभग 2 किलोमीटर बाद गंगा में मिला दिया गया. सरकारी फाइलों में अस्सी नदी नहीं है बल्कि इसे अस्सी नाला नाम दे दिया गया है. चार दशक पहले इस नदी के पानी से लोग आचमन करते थे लेकिन आज यहां से गुजर ना भी नहीं चाहते हैं. अस्सी नदी की लंबाई कुल 8 किलोमीटर की है. पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा ने शुंभ निशुंभ नामक असुरों का वध करने के बाद जहां अपनी तलवार फेंकी थी. उस स्थान पर ही महादेव कुंड बना और इस से निकले पानी से अस्सी नदी का उद्गम हुआ.