महिलाएं खेतों में ज्यादा समय बिता रही हैं और पूरी ताकत से कृषि कार्यों में घरवालों का हाथ बंटा रही हैं. इसके चलते खेती की लागत घटाने में महिलाओं की बड़ी भूमिका भी उभरकर सामने आई है. इस बदलाव में जल जीवन मिशन हर घर जल योजना का सकारात्मक प्रभाव दिखा है. जिन महिलाओं का पहले घर के लिए पानी जुटाने में काफी समय बीत जाता था, वो इस योजना के के चलते कम हो गया है. इसका असर यह हुआ है कि वे महिलाएं अब खेतों में ज्यादा समय दे पा रही हैं. इससे खेती में मजदूरी लागत घटाने में भी मदद मिली है. असम, यूपी और आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों में खेती कार्य करने वाली महिलाओं की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है.
केंद्र सरकार ने ग्रामीण लोगों को घर पर स्वच्छ-शुद्ध पानी की उपलब्धता के लिए 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन (JJM) को शुरू किया था. इसका लक्ष्य था कि 2024 तक हर ग्रामीण घर करीब 19.34 करोड़ को नल का पानी उपलब्ध कराना है. इसकी शुरुआत के समय केवल 17 फीसदी यानी 3.23 करोड़ ग्रामीण घरों में कनेक्शन थे और इस मिशन का उद्देश्य बाकी 16.10 करोड़ घरों को कवर करना था. 10 अक्टूबर 2024 तक जल जवीन मिशन ने 11.96 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण घरों को सफलतापूर्वक नल के पानी के कनेक्शन दिए हैं, जिससे कुल कवरेज 15.20 करोड़ से अधिक घरों तक पहुंच गया है, जो भारत के सभी ग्रामीण घरों का 78.62 फीसदी है. इससे ग्रामीण लोगों को उनके घरों में पीने योग्य पानी तक पहुंच आसान हो गई.
इसका असर यह हुआ कि जो पहले महिलाएं पानी जुटाने के लिए दिनभर प्रयासों में लगी रहती थीं उनका समय बचने लगा और उस समय का इस्तेमाल वह खेतों में कृषि गतिविधियों में करने लगी हैं.
एसबीआई रिसर्च ने कई बिंदुओं पर दिलचस्प आंकड़े जारी किए हैं जो बताते हैं कि किस तरह से कृषि और उससे जुड़े कार्यों में महिलाओं की हिस्सेदारी में तेज बढ़ोत्तरी हुई है. एसबीआई रिसर्च के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर परिसर के बाहर से पानी लाने वाले परिवारों के प्रतिशत में 8.3 प्रतिशत की गिरावट से कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी में 7.4 प्रतिशत बढ़ गई है. रिसर्च के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर खेती कार्य करने वाली महिलाओं की संख्या 57 फीसदी से 7.4 फीसदी बढ़कर 64.4 फीसदी पर पहुंच गई है. कुछ राज्यों को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में घर के बाहर से पानी लाने वाले परिवारों के प्रतिशत में गिरावट से कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में जुटी महिलाओं की संख्या में भारी बढ़त दर्ज की गई है.
राज्यवार आंकड़े देखें तो पता चलता है कि 2017-18 की तुलना में 2020-21 में खेती गतिविधियों में असम की सर्वाधिक 29 फीसदी महिलाओं की संख्या बढ़कर 74.7 फीसदी पर पहुंच गई है. इसके बाद बिहार की 28 फीसदी महिलाओं का खेती कार्यों में योगदान बढ़ा है और यह आंकड़ा बढ़कर 82.8 फीसदी पर पहुंच गया है. इसी तरह केरल में 19 फीसदी महिलाओं की हिस्सेदारी में 17 फीसदी बढ़ोत्तरी होकर 37 फीसदी के करीब पहुंच गई है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश की 64.6 फीसदी महिलाओं की संख्या में 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है और खेती में कुल राज्य की 81.8 फीसदी महिलाएं हाथ बंटा रही हैं.
एसबीआई रिसर्च के अनुसार महाराष्ट्र में खेती गतिविधियों में महिलाओं की संख्या घटी है. आंकड़ों के अनुसार 2017-18 की तुलना में 2020-21 में महाराष्ट्र की कुल 59 फीसदी महिलाओं खेती कार्य कर रही हैं. इस संख्या में 6.5 फीसदी की गिरावट आई है. इसी तरह हिमाचल प्रदेश की खेती कार्यों में जुटी महिलाओं की संख्या 5.5 फीसदी घटकर 78.5 फीसदी रह गई है. जबकि, आंध्र प्रदेश में कृषि कार्य करने वाली महिलाओं की संख्या में 4.6 फीसदी घटकर 56.5 फीसदी रह गई है. गोवा में खेती कार्य करने वाली कुल महिलाओं की संख्या में 3.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.