फसलों का नुकसान होना आम बात है. इसलिए किसान इसके लिए तैयार भी रहते हैं. लेकिन इससे उनका भारी नुकसान होता है. उनकी मेहनत मजूरी की कमाई मारी जाती है. इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने PM Kisan Fasal Bima Yojana की शुरुआत की है. इस योजना में किसानों को बहुत कम खर्च में फसल नुकसान का क्लेम यानी कि मुआवजा मिलता है. इस योजना को हर किसान तक पहुंचाने के लिए सरकार तरह-तरह के कैंपेन चलाती है. इसी कैंपेन में एक है मेरी फसल मेरे हाथ अभियान. आइए इस अभियान के बारे में जानते हैं कि इससे किसानों को कैसे फायदा होता है.
मेरी पॉलिसी मेरे हाथ अभियान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का हिस्सा है. इस अभियान का उद्देश्य है गांव के किसानों को अपनी फसल का बीमा कराने के लिए प्रेरित करना. इस कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत बीमा लेने वाले प्रत्येक किसान को पॉलिसी के दस्तावेज उनके घर पर मिलेंगे.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 फरवरी 2016 को की थी. इस योजना के तहत फसलों का बीमा होता है. इसमें फसलों का सूखा, आंधी-तूफ़ान, बेमौसम बारिश, बाढ़, ओलावृष्टि, कीट संक्रमण, चक्रवात जैसे दुश्वारियों से बीमा सुरक्षा दी जाती है. किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान की स्थिति में किफायती दर पर सरकार की ओर से बीमा मिलता है.
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फसल की बुवाई से लेकर कटाई के बाद तक पूरे फसल चक्र से जुडी गतिविधियों के दौरान फसल के नुकसान के ख़िलाफ़ सुरक्षा मिलती है. इसके अलावा किसान किसी भी घटना के 72 घंटे के भीतर फसल बीमा ऐप या निकटतम कृषि अधिकारी के माध्यम से फसल नुकसान की रिपोर्ट कर सकते हैं.
मेरी पॉलिसी मेरा हाथ योजना के अंतर्गत किसानों को फसल की बीमा का पूरा दस्तावेज दिया जाता है. इससे पहले उनके पास बीमा के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं होता था. सिर्फ एक पावती दी जाती थी, जिसके माध्यम से किसानों को अपनी फसलों की नुकसान को क्लेम करने में कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता था. इस योजना के लागू होते ही किसान अपनी फसल बीमा संबंधी सभी दस्तावेज आसानी से प्राप्त कर सकेंगे, जिसके बाद मौसम या आपदाओं की वजह से खराब हुई फसल के मुआवजे की मांग करने में आसानी होगी.
केंद्र सरकार की ओर से चलाई जाने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों के फसलों का बीमा किया जाता है. इसके बाद खराब मौसम या प्राकृतिक आपदाओं के कारण यदि किसान की फसलें प्रभावित होती हैं तो किसान खुद अपने मुआवजे की मांग कर सकता है.