आधुनिकता की इस दौर में खेती में भी नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल होने लगा है. वैसे, कम होती कृषि भूमि और बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर ये बहुत जरूरी भी हो गया है. कम जगह में ज्यादा उत्पादन मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है. ऐसे में पॉलीहाउस (Polyhouse) किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. पॉलीहाउस की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी भी फसल को किसी भी सीजन में लगा सकते हैं और अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं. वहीं, बेमौसमी सब्जियों की पॉलीहाउस में खेती करने से बाजार में उनकी मांग ज्यादा होने के चलते अच्छी कीमत मिल जाती है, जिससे किसानों को मोटा मुनाफा भी होता है. यही वजह है कि केंद्र के अलावा अलग-अलग राज्य सरकारें भी एक समयांतराल पर पॉलीहाउस पर सब्सिडी योजना लातीं रहती हैं.
इसी क्रम में उत्तराखंड की धामी सरकार ने छोटे पॉलीहाउस बनाने पर किसानों को सब्सिडी देने का फैसला किया है. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं क्या है ये पॉलीहाउस योजना और किसानों को कितना प्रतिशत सब्सिडी मिलेगा-
दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को सब्जी और फूल उगाने के लिए क्लस्टर आधारित प्राकृतिक हवादार छोटे पॉलीहाउस बनाने के लिए किसानों को सब्सिडी देने का फैसला किया. मुख्य सचिव एसएस संधू ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया.
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संधू ने कहा कि 100 वर्ग मीटर आकार के 17,648 पॉलीहाउस की स्थापना के लिए नाबार्ड रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के तहत 304 करोड़ रुपये की धनराशि अप्रूव की गई है. वहीं छोटे पॉलीहाउस का निर्माण करने पर किसानों को 70 प्रतिशत सब्सिडी दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इससे राज्य में लगभग एक लाख किसानों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ होगा और स्वरोजगार का अवसर प्रदान करेगा. इसके अलावा, इससे उनकी आय में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि यह राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से लोगों के निरंतर पलायन पर रोक लगाएगा. संधू ने कहा कि इस कदम से सब्जी उत्पादन में 15 फीसदी और फूलों के उत्पादन में 25 फीसदी की बढ़ोतरी होगी.
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इसके अलावा उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड पर ऋषिकेश-नीलकंठ रोपवे प्रोजेक्ट के निर्माण का भी फैसला किया है. साथ ही कैबिनेट ने राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और स्थानीय निकायों द्वारा चिन्हित सड़कों के रास्ते में 50 मीटर एरियल डिस्टेंस (पहाड़ी क्षेत्रों में) और 100 मीटर एरियल डिस्टेंस (मैदानी क्षेत्रों में) के भीतर किसी भी प्रकार के ढांचे के निर्माण के लिए पूर्व नक्शा अप्रूवल अनिवार्य कर दी है.