पंजाब सरकार ने प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए बड़ा प्लान बनाया है. उसने अक्टूबर और नवंबर महीने में धान की पराली के इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार से 500 करोड़ रुपये अनुदान के रूप में मांगने का फैसला किया है. यह मांग फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) की कार्य योजना के हिस्से के रूप में की जाएगी. वहीं, कृषि निदेशक जसवन्त सिंह का कहना है कि हम इन-सीटू प्रबंधन के लिए केंद्र से विशेष पैकेज की मांग करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बार हमार ध्यान विशेष रूप से एक्स-सीटू प्रबंधन पर होगा.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने साल 2018 से सीआरएम कार्यक्रम को फंडिंग देना शुरू किया था, जो 2022 तक चालू था. खास बात यह है कि सीआरएम कार्यक्रम के लिए केंद्र सरकार 100 फीसदी अनुदान देती थी. लेकिन पिछले साल उसने सीआरएम कार्यक्रम के लिए नियम में बदलाव कर दिया. पिछले खरीफ सीजन से राली प्रबंधन के लिए केंद्र और राज्य का वित्तीय योगदान क्रमशः 60:40 के अनुपात में हो गया. पिछले सीजन में केंद्र ने सीआरएम कार्यक्रम के लिए 350 करोड़ रुपये जारी किए थे, जिसमें से पंजाब सरकार ने 140 करोड़ रुपये का अपना योगदान दिया था.
जबकि, साल 2018- 2022 तक, पंजाब में किसानों को मशीनें खरीदने के लिए कुल 1,370 करोड़ दिए गए. कुल मिलाकर किसानों को 1.17 लाख मशीनें वितरित की गईं. पिछले साल किसानों को 23,000 मशीनें दी गईं. कृषि निदेशक जसवन्त सिंह ने कहा कि हम इन-सीटू प्रबंधन के लिए धन की मांग कर रहे हैं और इस बार विशेष ध्यान एक्स-सीटू प्रबंधन पर होगा. उन्होंने कहा कि आगामी सीजन के लिए राज्य सरकार पिछले सीजन की तुलना में अधिक मशीनों के लिए एक कार्य योजना बनाएगी. साथ ही विभाग धान की पराली के एक्स-सीटू प्रबंधन पर अधिक खर्च कर सकता है.
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विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इस साल राज्य सरकार ने धान की पराली प्रबंधन के लिए किसानों को मशीनें मुहैया कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पिछले सीज़न में, पंजाब ने इस तथ्य को उजागर किया था कि 2022 में खेतों में आग लगने की संख्या 49,922 से घटकर पिछले साल 36,623 हो गई, जिससे राष्ट्रीय राजधानी की खराब हवा के लिए जिम्मेदार प्रदूषण स्रोत में 26 फीसगी की गिरावट आई. इसी तरह 2023 में 19 लाख एकड़ में पराली जलाई गई.
खरीफ मौसम में लगभग 20 मिलियन टन धान का भूसा उत्पन्न होता है, जिसमें प्रीमियम सुगंधित बासमती किस्म का 3.3 मिलियन टन भूसा भी शामिल होता है. कुल धान की पराली में से, राज्य सरकार विभिन्न इन-सीटू प्रबंधन उपायों के माध्यम से लगभग 11.5 मिलियन टन और एक्स-सीटू विधि द्वारा 4.67 मिलियन टन का प्रबंधन करती है.
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