अनाज भंडारण को लेकर एक अच्छी खबर है. सरकार गेहूं स्टोरेज के लिए बड़े स्तर पर काम कर ही है. इसके लिए 90 लाख टन गेहूं भंडारण के साइलो बनाने की प्लानिंग है. अगले तीन साल में सरकार इस तरह के साइलो बनाने का काम पूरा कर लेगी. देश में फिलहाल तकरीबन 30 लाख टन गेहूं भंडारण के लिए साइलो बने हुए हैं जिसे अगले तीन साल में बढ़ाकर 90 लाख टन करने की योजना है. ये ऐसे गोदाम होंगे जो पूरी तरह से सुरक्षित और हाईटेक तकनीकों से लैस होंगे. सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है.
'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' में छपी में एक खबर के मुताबिक, साइलो बनाने के लिए फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी कि FCI ने कांट्रेक्ट मंगाए हैं. एफसीआई 25 लाख टन के गेहूं गोदाम बनाने का काम करेगा जो कि पूरी तरह से मॉडर्न और नई तकनीक वाले होंगे. इसे PPP मॉडल पर बनाया जाना है जिसमें सरकारी एजेंसी के साथ प्राइवेट एजेंसियों की भी भागीदारी होगी. सूत्रों ने बताया कि एफसीआई फरवरी में गोदाम बनाने का ठेका दे सकता है. अभी लगभग 30 लाख टन स्टोरेज के 35 साइलो भंडारण का काम कर रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 80 जगहों पर अभी 35 लाख टन भंडारण क्षमता वाले साइलो बनाने का ठेका प्राइवेट कंपनियों को दिया जा चुका है. ये सभी साइलो अगले 2 साल में तैयार हो सकते हैं. इस तरह अगले तीन साल में पूरे देश में लगभग 90 लाख टन क्षमता के साइलो तैयार हो जाएंगे. साइलो के निर्माण पर 9,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इन सभी साइलो में एफसीआई अपने अनाज रखेगा. ये सभी साइलो देश के 250 स्थानों पर बनाए जा रहे हैं जिनमें पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, जम्मू, उत्तराखंड और केरल राज्यों की जगहें शामिल हैं.
सूत्रों के मुताबिक इसमें कई प्राइवेट कंपनियों को ठेका मिला है जिनमें अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स, केसीसी इंफ्रास्ट्रक्चर, नेशनल कोलैटरल मैनेजमेंट सर्विस, ओम मेटल्स इंफ्रा प्रोजेक्ट के नाम शामिल हैं. इन कंपनियों के जरिये साइलो बनाए जाएंगे जिसे एफसीआई 30 साल की लीज पर इस्तेमाल करेगा. इसमें कंपनियों के लिए किराये का खास नियम रखा गया है. जैसे हर साल के लिए फिक्स्ड स्टोरेज चार्ज पहले ही तय किया जाएगा जिसके आधार पर एफसीआई कंपनियों को पेमेंट करेगा.
देश में जिस तरह से अनाज भंडारण पर जोर दिया जा रहा है और सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है, उसे देखते हुए नए साइलो का निर्माण किसान और व्यापारी दोनों वर्ग के लिए अच्छी खबर है. देश में भंडारण की सुविधा की कमी के चलते किसान और सरकार दोनों को नुकसान होता है. अनाज के मामले में आत्मनिर्भर होने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भंडारण की सुविधा बढ़ाना जरूरी है. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने साइलो निर्माण पर जोर दिया है.
सरकार ने इस तरह के काम के लिए स्पेशल एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की भी शुरुआत की है. आने वाले समय में इसमें और भी तेजी दिखने की उम्मीद है. फिलहाल 10 लाख टन के गोदाम को बनाने पर लगभग 1,000 करोड़ रुपये का खर्च आता है. इस तरह 90 लाख टन के साइलो पर 9,000 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है.