हिमाचल में गैर-लकड़ी उत्पादों की नई कीमतें लागू, जानें सरकार को कितना फायदा हुआ

हिमाचल में गैर-लकड़ी उत्पादों की नई कीमतें लागू, जानें सरकार को कितना फायदा हुआ

हिमाचल सरकार का यह फैसला वन उत्पादों के व्यापार को पारदर्शी और लाभदायक बनाने की दिशा में बड़ा कदम है. इससे राज्य को राजस्व में बढ़ोतरी होगी, स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और जंगलों का संरक्षण भी बेहतर ढंग से किया जा सकेगा.

New decision of Forest Corporation in HimachalNew decision of Forest Corporation in Himachal
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 18, 2025,
  • Updated May 18, 2025, 10:04 AM IST

हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड (Forest Development Corporation) ने आज गैर-काष्ठ उत्पादों (Non-Timber Forest Produce) और रॉयल्टी की नई दरों को मंजूरी दी. यह फैसला निगम की मूल्य निर्धारण समिति (Pricing Committee) की बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने की. बता दें कि इस समिति की पिछली बैठक वर्ष 2022 में हुई थी.

क्या है बिना लकड़ी का उत्पाद?

गैर-काष्ठ उत्पादों में वे वन उत्पाद आते हैं जो लकड़ी नहीं होते, जैसे- जड़ी-बूटियां, फूल, बीज, पत्ते, गोंद, शहद आदि. इनकी बाजार में अच्छी मांग होती है और स्थानीय लोग भी इनसे अच्छी आय अर्जित करते हैं.

निगम निकालेगा सिडार की जड़ें

मुख्यमंत्री ने वन निगम को निर्देश दिए कि अब सिडार (देवदार) की जड़ों (stumps) का निकास खुद निगम ही करे. अब तक यह काम निजी ठेकेदारों को दिया जाता था. मुख्यमंत्री ने कहा कि करीब 10,000 सिडार की जड़ों के निष्कर्षण के लिए वन निगम एक ठोस योजना (roadmap) तैयार करे. इससे वन निगम को सीधा लाभ होगा और पारदर्शिता भी बनी रहेगी.

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सरकार को मिलेगी रॉयल्टी

बैठक के दौरान वन निगम ने मुख्यमंत्री को 41.30 करोड़ रुपये का चेक सौंपा. यह राशि खैर और साल के पेड़ों की सिल्वीकल्चर कटाई (scientific felling) से अर्जित रॉयल्टी से प्राप्त हुई है. यह राज्य सरकार के राजस्व में बड़ा योगदान है.

जंगलों को आग से बचाने का निर्देश

गर्मियों के मौसम को देखते हुए मुख्यमंत्री ने वन विभाग को वनाग्नि (Forest Fires) को रोकने के लिए तुरंत और प्रभावी इंतजाम करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि जंगलों की सुरक्षा के लिए आधुनिक उपकरणों और अलर्ट सिस्टम का उपयोग किया जाना चाहिए.

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बैठक में ये अधिकारी रहे मौजूद

इस अहम बैठक में वन निगम के उपाध्यक्ष केहर सिंह खाची, अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) के.के. पंत, प्रधान मुख्य वन संरक्षक समीर रस्तोगी, निगम के प्रबंध निदेशक संजय सूद और वन विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.


 

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