छत्तीसगढ़ में भाजपा की नई सरकार का गठन होने के बाद बीते दो महीनों में किसानों से किए गए वादे पूरा करने का सिलसिला जारी है. धान के किसानों को बकाया बोनस का भुगतान करने के बाद साय सरकार ने चालू खरीफ सीजन में चुनावी वादे के अनुरूप 3100 रुपये प्रति कुंतल की कीमत पर किसानों से धान की खरीद की है. इसके लिए सरकार ने दो दिन पहले ही लगभग 25 लाख किसानों को Bonus on MSP के रूप में 13 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है. इस कड़ी में अब बारी तेंदूपत्ता संग्रह करने वाले वनवासी समुदाय के किसानों की है. इसके तहत साय सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की तर्ज पर तेंदूपत्ता की भी कीमत तय करते हुए इसकी खरीद सुनिश्चित करने का ऐलान कर दिया है. इससे पहले वनक्षेत्र वाले इलाकों में रह रहे वनवासी समुदायों के लोग तेंदूपत्ता स्थानीय कारोबारियों को औने पौने दाम पर बेचने को मजबूर थे.
छत्तीसगढ़ के Forest Area में वनवासी समुदायों के लोग बड़ी संख्या में तेंदूपत्ता एकत्र करते हैं. तेंदूपत्ता को Forest Produce की श्रेणी में रखे जाने के कारण कृषि उपज की तर्ज पर इसकी कीमत का निर्धारण अब तक सरकारी नियंत्रण के बाहर था. इस वजह से वनवासी समुदाय के लोगों को स्थानीय खरीदारों को तेंदूपत्ता की बहुत कम कीमत पर बिक्री करनी पड़ती थी. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने गत विधानसभा चुनाव में तेंदूपत्ता की उचित दाम पर खरीद करने का वादा किया था.
ये भी पढ़ें, Bonus on MSP : छत्तीसगढ़ के किसानों को मिल रहा धान का देश में सबसे ज्यादा दाम
सीएम साय ने कहा कि राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रह करने की दर में बढ़ोतरी होने से वनवासी परिवारों को होने वाले 240 करोड़ रुपए के अतिरिक्त मुनाफे के लिए पैसे की व्यवस्था कर ली है. यह पैसा वनवासी समुदायों की पॉकेट में जाने से उनकी आय में इजाफा करेगा.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वनवासी समुदायों को Social security Guarantee देने के लिए भी योजना बनाई है. राज्य सरकार द्वारा वन उपज एकत्र करने वाले वनवासी परिवारों के संभाग स्तरीय सम्मेलन ’जंगल जतरा 2024’ का आयोजन कर इन योजनाओं की घोषणा की. सम्मेलन में शामिल हुए मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए नयी सामाजिक सुरक्षा योजना प्रारंभ करने साथ ही चरण पादुका योजना को भी फिर से शुरू करेगी.
ये भी पढ़ें, Women Empowerment : छत्तीसगढ़ में महिलाओं को महतारी वंदन योजना की पहली किस्त मिलेगी 10 मार्च को
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि उनकी सरकार का मुख्य फोकस बस्तर और सरगुजा संभाग पर है. इन दोनों संभाग में वन उपज के लिहाज से असीम संभावना होते हुए भी पिछली सरकारों में विकास नहीं हो पाया है. वन, उर्वरा भूमि, नदी-नालों और खनिज संपदा से भरपूर इस इलाके के लिए सरकार ने विकास की जो रणनीति बनाई है, उसमें स्थानीय संपदा का लाभ स्थानीय लोगों को मिलना सुनिश्चित किया जाएगा.
सीएम साय ने कहा कि बस्तर संभाग में 65 तरह की लघु वन उपजों का संग्रह होता है. इसमें इमली, महुआ, अमचूर आदि का निर्यात भी किया जाता है. इनकी ज्यादा से ज्यादा Processing and Value Addition स्थानीय स्तर पर ही हो, इस दिशा में सरकार प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि इस इलाके में कोदो कुटकी और रागी की उपज भी भरपूर मात्रा में होती है. इसकी खरीद भी सुनिश्चित कर किसानों को इसका लाभ दिया जाएगा.