छत्तीसगढ़ सरकार की सक्षम योजना के तहत गांव की महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को स्वरोजगार परक कामों के लिए ऋण दिया जाता है. सरकार ने अब इस योजना के तहत महिलाओं के समूहों को अधिकतम 6 लाख रुपए तक का ऋण मुहैया कराने के लिए पात्रता की शर्तों में ढील दी है. जिससे गांव की महिलाएं समूह में काम करके स्वावलंबी बनने की ओर प्रेरित हो सके. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि सक्षम योजना के मानक में ढील देकर सरकार गांव की महिलाओं को सरकारी मदद से उद्यमिता की ओर प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध है. राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए 'छत्तीसगढ़ महिला कोष' के अंतर्गत चलाई जा रही योजनाओं के मानकों में संशोधन किया गया है.
महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए बघेल ने हाल ही में महिला समूहों को 6 लाख रुपये तक का ऋण देने और इसके लिए ऋण लेने की पात्रता शर्तों को सरल बनाने की घोषणा की थी. इस संबंध में राज्य सरकार ने आदेश जारी करते हुए सक्षम योजना के अन्तर्गत ऋण लेने के लिए आवेदक महिला की वार्षिक आय को पात्रता का मानक बनाया है. इसके लिए अब तक परिवार की सालाना आय के आधार पर ऋण दिया जाता था.
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संशोधित मानकों के तहत छत्तीसगढ़ महिला कोष में शामिल ऋण योजनाओं के अन्तर्गत ऐसे महिला समूह, जिन्होंने पहली बार ऋण लेकर उसकी पूर्ण अदायगी कर दी है, उन्हें 04 लाख रुपये के स्थान पर अब अधिकतम 06 लाख रुपये का ऋण दिया जा सकेगा. इतना ही नहीं, 04 से 06 लाख रुपये तक के ऋण की अदायगी, महिला स्वयं सहायता समूहों से ऋण मिलने के 6 माह बाद 60 मासिक किश्तों में की जाएगी. इसमें पुनः ऋण की पात्रता का लाभ नियमित किश्त अदा करने वाले हितग्राहियों को ही दिया जायेगा.
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गौरतलब है कि महिला कोष द्वारा ऋण योजना एवं सक्षम योजना के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से समृद्ध करने के लिए मात्र 3 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ऋण उपलब्ध कराया जाता है. मुख्यमंत्री बघेल ने महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भरता बनाने के उद्देश्य से महिला कोष का बजट चालू वित्तीय वर्ष में लगभग 10 गुना बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये कर दिया है. इसके अलावा नवीन कौशल्या समृद्धि योजना के लिए भी 25 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.