Success Story : छत्तीसगढ़ में किसान की बेटी ने किया कमाल, बैंक सखी बनकर किसानों के किए 20 करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन

Success Story : छत्तीसगढ़ में किसान की बेटी ने किया कमाल, बैंक सखी बनकर किसानों के किए 20 करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन

Rural Economy में महिलाओं की भागीदारी को मजबूत करने के लिए सरकार ने गांव वालों को बैंक की ऑनलाइन सेवाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी गांव की ही महिलाओं को ही सौंपी है. इस काम को कर रही 'बैंक सखी' ग्रामीणों को घर पर ही Online Banking Services मुहैया करा रही हैं. छत्तीसगढ़ की ऐसी ही एक बैंक सखी रीमा गुप्ता 20 करोड़ रुपये से ज्यादा का ट्रांजेक्शन करा चुकी हैं.

छत्तीसगढ़ में बैंक सखी बन रही किसानों की बैंकिग सेवकछत्तीसगढ़ में बैंक सखी बन रही किसानों की बैंकिग सेवक
न‍िर्मल यादव
  • Raipur,
  • Sep 25, 2024,
  • Updated Sep 25, 2024, 2:58 PM IST

छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों की ग्रामीण महिलाएं बैंक सखी बनकर Women Empowerment का अनूठा उदाहरण पेश कर रही हैं. ये महिलाएं ग्रामीणों तक बैकिंग सुविधाएं पहुंचाकर गांवों के लिए सच्ची मददगार साबित हुई हैं. गांव वालों को बैंक के हर छोटे बड़े काम के लिए अब शहरों में स्थित बैंक नहीं जाना पड़ रहा है. अब बैंक सखी योजना के माध्यम से बैंक स्वयं गांव वालों के घर पहुंच गया है. इसके लिए तैनात की गई बैंक सखियां, अब ग्रामीणों की सेवा का करते हुए स्वयं भी आर्थिक रूप से सशक्त बन कर परिवार और गांव की अर्थव्यवस्था में अपना सक्रिय योगदान दे रही हैं. इनके माध्यम से गांवों में वृद्धा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, नरेगा मजदूरी भुगतान, स्वयं सहायता समूह (SHG) की राशि का लेनदेन एवं अन्य बैंकिंग कार्य किए जाते हैं. इतना ही नहीं, बैंक सखी अब बैंक में खाते भी खोलने का काम कर रहीं हैं. इस योजना का सबसे ज्यादा लाभ छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल गांवों के लोगों को हो रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरगुजा जिले की बैंक सखी रीमा गुप्ता अब तक 20 करोड़ रुपये से ज्यादा का Online Transaction कर चुकी हैं.

13 हजार किसानों की बैंक सखी हैं रीमा

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से बताया गया कि हर गांव में बैंकिंग सेवाओं को पहुंचाने के लिए सभी जिलों में बैंक सखी तैनात की गई हैं. आदिवासी बहुल वनवासी क्षेत्र  सरगुजा की 7 जनपद पंचायतों में 87 Bank Correspondent (BC) सखी कार्यरत हैं. ये ग्रामीणों को उनके घर जाकर बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करा रही है.

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किसान की बेटी खुद बनीं आत्मनिर्भर

रीमा बताती हैं कि वह किसान की बेटी हैं. उनके पिता ने खेती करके 5 बेटियों को पढ़ाया. रीमा ने खुद ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है. उन्होंने बताया कि 2018 में सरकार की मदद से गांव में SHG का गठन हुआ था. वह इस समूह की सदस्य बन गईं. उन्हें समूह का सचिव बनाया गया. इसके बाद उन्होंने ग्राम संगठन में सहायिका, फिर संकुल में लेखपाल के रूप में कार्य किया.

इसके बाद वह ग्रामीण लोगों को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू किए गए National Rural Livelihood Mission (NRLM) से जुड़ी. इसमें उन्हें 'बैंक सखी' योजना के बारे में बताया गया. यह काम उन्हें रुचिकर लगा. बैंक सखी बनने के लिए उन्हें प्रशिक्षण हेतु रायपुर भेजा गया. इसके बाद 6 साल से वह छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक की बीसी सखी बनकर कार्य कर रही हैं.

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दे रहीं ये बैंकिंग सेवाएं

उन्होंने बताया कि बीसी सखी के रूप में कार्य करके वह खुद आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं. साथ ही, अपने गांव के लोगों की सहायता करके भी उन्हें सुकून मिलता है. उन्होंने बताया कि उनके पति खेती-बाड़ी करने के साथ घर में ही किराने की दुकान भी चलाते हैं. जबकि वह खुद Bank Kiosk के माध्यम से ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराती हैं.

इसके तहत रीमा ग्रामीणों के Bank Account खोलने से लेकर पैसा जमा करने, निकालने और किसी अन्य के खाते में पैसा कराती हैं. इसके अलावा वह प्रधानमंत्री जीवन ज्योति एवं सुरक्षा बीमा योजनाओं सहित योजनाओं का लाभ भी लेने में गांव वालों की मदद करती हैं. उन्होंने कियोस्क के माध्यम से अब तक 406 ग्रामीणों के जनधन खाते खोले हैं.

उन्होंने बीमा योजनाओं से भी ग्रामीण हितग्राहियों को जोड़ा है. इस प्रकार वह 6 साल में अब तक 13 हजार से ज्यादा ग्रामीणों के 20.8 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन कर चुकी हैं. रीमा ने बताया कि उन्हें बैंक सखी के रूप में प्रतिमाह 8 से 9 हजार रुपए तक की आय प्राप्त हो जाता है. इससे वह अपने परिवार की तमाम जरूरतें पूरा करने में भरपूर मदद करती हैं.

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