Mandi Strike in MP : एमपी में मंडी शुल्क घटाने की मांग पर आढ़तियों ने की राज्यव्यापी मंडी हड़ताल

Mandi Strike in MP : एमपी में मंडी शुल्क घटाने की मांग पर आढ़तियों ने की राज्यव्यापी मंडी हड़ताल

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के मद्देनजर किसानों से जुड़े तमाम मुद्दों पर सियासत जोर पकड़ रही है. इस बीच मंडी कारोबारियों ने पूरे राज्य की मंडियों में तालाबंदी कर सोमवार से बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी है. मंडी शुल्क घटाने सहित 11 मांगों को लेकर चल रही हड़ताल आज चौथे दिन भी जारी रही.

एमपी में मंडियों की चौथे दिन हड़ताल जारी रहने के कारण सुनसान रहीं मंडियां, फोटो: किसान तकएमपी में मंडियों की चौथे दिन हड़ताल जारी रहने के कारण सुनसान रहीं मंडियां, फोटो: किसान तक
न‍िर्मल यादव
  • Bhopal,
  • Sep 07, 2023,
  • Updated Sep 07, 2023, 7:15 PM IST

सूबे की सभी 230 मंडियों के लगभग 25 हजार आढ़तियों ने चार दिन से हड़ताल को जारी रखने का फैसला किया है. इस कारण किसान अपनी उपज को बेच नहीं पा रहे हैं. प्रदेश की भोपाल, इंदौर, नीमच और ग्वालियर सहित सभी मंडियों में काम करने वाले लाखों दिहाड़ी मजदूरों के सामने भी रोजी रोटी का संकट गहराने लगा है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस गतिरोध को दूर करने के लिए आढ़तियों और सरकार की ओर से फिलहाल कोई ठोस पहल नहीं हुई है. कारोबारी मंडी शुल्क में कमी करने और निराश्रित शुल्क खत्म करने सहित 11 मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. राज्य में फिलहाल 1.5 प्रतिशत मंडी शुल्क लगता है. मंडी कारोबारियों की पुरानी मांग रही है कि इस शुल्क को घटाकर 1 प्रतिशत कर दिया जाए.

हड़ताल की वजह

'मध्य प्रदेश सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ समिति' के आह्वान पर गत सोमवार से ही एमपी की मंडियों में हड़ताल चल रही है. इसकी वजह मंडी कारोबारियों की 11 सूत्रीय मांगें हैं. इनमें सबसे प्रमुख मांग मंडी शुल्क में कटौती करने को लेकर है. कारोबारी, राज्य में अभी वसूले जा रहे रहे 1.5 प्रतिशत मंडी शुल्क को घटाकर 1 प्रतिशत करने की मांग कर रहे हैं.

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इसके लिए मंडी कारोबारियों ने सरकार से मंडी कानून की धारा 19(2), धारा 19(8), धारा 46(ड) एवं धारा 46(च) में संशोधन कर इन प्रावधानों को खत्म करने की मांग की है. मंडी कारोबारियों की अन्य मांगों में लाइसेंस गारंटी की अनिवार्यता को खत्म करने, मंडी कारोबार स जुड़ी अनुज्ञप्ति व्यवस्था एवं निर्धारण फीस में 25 हजार रुपये के इजाफे को वापस लेकर इसे पहले की तरह 5 हजार रुपये करने, मंडी समितियों के कानूनी अधिकारों को यथावत रखने और अकाउंट ऑडिट को दो बार कराने की जरूरत को खत्म करने की मांग भी शामिल है.

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कारोबारियों की दलील

हड़ताल का आयोजन करने वाले संगठन मप्र सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपाल दास अग्रवाल ने आंदोलन को जायज ठहराया है. उन्होंने कहा कि अभी सरकार 1.5 प्रतिशत मंडी शुल्क ले रही है. इससे किसानों और कारोबारियों, दोनों के हित प्रभावित हो रहे हैं. इसलिए इस शुल्क को पहले की तरह 1 प्रतिशत करने की मांग लंबे समय से की जा रही है. इसी तरह मंडी में करीब 50 साल से लग रहा निराश्रित शुल्क भी पूरी तरह से गैर जरूरी है. इसलिए इसे भी खत्म करने की मांग की गई है. सरकार अब तक यह नहीं बता पाई है कि इस शुल्क की वसूली से मिलने वाले राजस्व का क्या उपयोग होता है.

उन्होंने कहा कि इस तरह की मांगों को लेकर 25 हजार से ज्यादा व्यापारी हड़ताल पर हैं. साथ ही इनके साथ प्रदेश की कुल 230 मंडि‍यों में काम करने वाले हम्माल एवं तुलावटी भी हड़ताल में शामिल हैं.

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