झारखंड में किसानों को सूखे से राहत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना चलाई जा रही है. राज्य में इस बार बारिश की कमी के कारण सूखा पड़ा है. झारखंड देश का ऐसा राज्य हैं जहां पर 24 में से 22 जिले गंभीर सूखे की चपेट में हैं इसके कारण यहां पर खरीफ फसल खास कर धान की खती प्रभावित हुई है इसके अलावा बाद के महीनों में हुई बारिश के कारण किसीनों को सब्जी की खेती में भी काफी नुकसान हुआ ह. किसानो को हुए इस आर्थिक नुकसान ने उनकी कमर तोड़ दी है, उनके पास पूंजी तक नहीं है.
राज्य के गरीब किसानों के आर्थिक लाभ देने के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही सुखाड़ राहत योजना के तहत राज्य के 30 लाख किसानों को 3500 रुपए प्रति किसान देने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए आवेदन दिए जा रहे हैं. लाभुक किसानों को इस योजना ते तहत लाभ लेने के लिए प्रज्ञा केंद्रों में जाकर आवेदन करना पड़ा रहा है. फिलहाल योजना के तहत आवेदन करने की तारीख बढ़ाकर इस पूरे भर की कर दी गई है. इससे पहले यह 30 नंवबर तक ही थी, पर अधिकांश किसान आवेदन नहीं कर पाए थए जिसे देखते हुए तारीख को बढ़ा दिया गया है.
प्रज्ञा केंद्रों में किसानों के लिए आवेदन करने की तारीख तो बढ़ा दी गई है पर यहां भी उनकी मुसिबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. कारण विभाग की लापरवाही या तकनीकि खामियां जो हो पर परेशानी किसानों को झेलनी पड़ रही है. क्योंकि सर्वर डाउन होने के कारण दिन भर प्रज्ञा केंद्रों में किसान आवेदन नहीं कर पाते हैं. शाम के वक्त ही सर्वर काम करता है तब जाकर किसानों की प्रक्रिया पूरी हो पाती है. इसके कारण कंपकपाती ठंड में किसानों को शाम के या रात के वक्त प्रज्ञा केंद्रों पर जाकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है.
राजधानी रांची के सभी 16 प्रखंडो में सूखा पड़ा है. मांडर प्रखंड के ब्राम्बे स्थित प्रज्ञा केद्र में मौजूद नेजाम बताते हैं कि वो ब्राम्बे से 9 किलोमीटर दूर पतराटोली गांव से आए हैं. लगातार तीसरे दिन आने पर आज उनका काम हो गया है. अब उन्हें खुशी है कि अब उन्हें मुआवजे की राशि मिल जाएगी. वहीं लगभग 5 किलोमीटर दूर गांव चुंद से आए हुए किसान ने बताया कि इस बार बारिश देरी से होने के कारण धान की फसल में उन्हें 50 हजार रुपए का नुकसान हुआ है. योजना के तहत जो राशि मिल रही है वो काफी नहीं पर क्या करें जो मिल रहा है उसे लेना पड़ा.
वहीं गुड़गुड़जाड़ी गांव के एक प्रगतिशील किसान बताते हैं कि उनके संपर्क में कई ऐसे किसान हैं जो लाइन में लगने की समस्या और 3500 रुपए की राशि के कारण आवेदन नहीं कर रहे हैं. उनका कहना है जब इतना नुकसान हो गया तो इस छोटी रकम से क्या होगा, उसके लिए क्यों परेशान होना है. नहीं प्रज्ञा केंद्र संचालक मोइन आलम बताते हैं कि सर्वर डाउन रहने के कारण किसानों को परेशानी हो रही है. शिकायत की गई है पर तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. फिर भी किसानों के लिए हित के लिए वो रात तक काम कर रहे हैं.