बिहार में मक्का की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. कुछ सालों से राज्य में स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती का रकबा भी धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हुआ है. राज्य के कई ऐसे किसान है, जो परंपरागत खेती से हटकर स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न, सहित अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं और मोटी कमाई कर रहे हैं. वहीं, अब इस खेती को बढ़ावा देते हुए कृषि विभाग राज्य में फसल विविधीकारण के तहत किसानों की मदद करने का निर्णय लिया है.
विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल कहते हैं कि किसानों की आय किस तरह से बढ़े, यह विभाग की पहली प्राथमिकता है. इसके लिए कृषि विभाग किसानों को हर संभव मदद उपलब्ध कराएगा. गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर जिले के किसान उमा शंकर सिंह बड़े पैमाने पर स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती कर रहे हैं. उन्होंने अपनी खेती को लेकर कृषि विभाग के सचिव से मुलाकात की. किसान की इस उपलब्धि को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा उन्हें हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया गया है.
बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की खेती में मिली सफलता के बाद पटना स्थित कृषि भवन में कृषि सचिव संजय अग्रवाल से मुलाकात के दौरान किसान उमा शंकर सिंह ने बताया कि वह परंपरागत खेती से हटकर नकदी और आधुनिक खेती कर रहे हैं. वे करीब 10 एकड़ भूमि पर खेती करते हैं, जिसमें केले, हल्दी, स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न फसलों की खेती कर रहे हैं. इससे उन्हें एक अच्छी कमाई हो रही है.
मुजफ्फरपुर जिले के लक्ष्मण नगर निवासी उमा शंकर सिंह से कई किसान प्रेरणा लेकर इन फसलों की खेती में कदम बढ़ाना शुरू कर चुके हैं. कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करना विभाग की प्राथमिकता है. कृषि में विविधीकरण और मूल्य वर्धित फसलों की ओर बढ़ने से किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है. उमा शंकर जैसे किसान राज्य के कृषि परिदृश्य को सकारात्मक दिशा में ले जा रहे हैं.
आगे उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से विभिन्न योजनाओं के तहत उच्च मूल्य फसलों की खेती के लिए 75 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध करा रही है. वहीं, गरमा मौसम के लिए फिलहाल बीज सब्सिडी की दर बेबी कॉर्न के लिए 50 प्रतिशत या 500 रुपए प्रति किलोग्राम और स्वीट कॉर्न के लिए 50 प्रतिशत या 1500 रुपए प्रति किलोग्राम निर्धारित किया गया है.
कृषि सचिव ने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों के किसान स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं. किसानों की इस बढ़ती रुचि को देखते हुए विभाग इन फसलों के लिए तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और बाजार से जोड़ने पर विशेष जोर दे रहा है. राज्य में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना और किसानों को मूल्यवर्धित कृषि की ओर प्रेरित करना विभाग की प्राथमिकताओं में शामिल है. इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में स्थायित्व और नवाचार को भी प्रोत्साहन मिलेगा.