मनमोहन सिंह के कार्यकाल में राष्ट्रीय आपदा घोषित हुआ था पाला, किसानों को मिला फायदा, कृषि मंत्री ने शेयर की यादें

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में राष्ट्रीय आपदा घोषित हुआ था पाला, किसानों को मिला फायदा, कृषि मंत्री ने शेयर की यादें

डॉ. सिंह को याद करते हुए शिवराज सिंह ने एक्स पर लिखा है, मुझे एक संस्मरण याद आता है. पहले पाला को राष्ट्रीय आपदा नहीं माना जाता था और इस समस्या को लेकर मैं संघर्षरत था. यह विषय मैंने प्रधानमंत्री जी (मनमोहन सिंह) के समक्ष रखा तो उन्होंने एक कमेटी बनाई और श्रद्धेय प्रणब मुखर्जी जी, शरद पवार जी के साथ मुझे भी उसमें स्थान दिया. अंततः कमेटी ने पाला को राष्ट्रीय समस्या घोषित किया.

Manmohan Singh, two-time Prime Minister, died on Thursday at the age of 92. (Photo: PTI)Manmohan Singh, two-time Prime Minister, died on Thursday at the age of 92. (Photo: PTI)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 27, 2024,
  • Updated Dec 27, 2024, 8:27 PM IST

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार रात दिल्ली में निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे. 2004 से 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में दो बार प्रधानमंत्री रहे सिंह पिछले कुछ महीनों से खराब स्वास्थ्य में थे. उनके परिवार में पत्नी गुरचरण सिंह और तीन बेटियां हैं. प्रधानमंत्री बनने से पहले डॉ. सिंह पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में वित्त मंत्री थे. डॉ. सिंह के निधन पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने शोक जताया और उनके काम को याद किया. इसी में एक अहम काम पाला को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना है जिसकी मंजूरी डॉ. मनमोहन सिंह ने दी थी.

डॉ. सिंह को याद करते हुए शिवराज सिंह ने एक्स पर लिखा है, मुझे एक संस्मरण याद आता है. पहले पाला को राष्ट्रीय आपदा नहीं माना जाता था और इस समस्या को लेकर मैं संघर्षरत था. यह विषय मैंने प्रधानमंत्री जी (मनमोहन सिंह) के समक्ष रखा तो उन्होंने एक कमेटी बनाई और श्रद्धेय प्रणब मुखर्जी जी, शरद पवार जी के साथ मुझे भी उसमें स्थान दिया. अंततः कमेटी ने पाला को राष्ट्रीय समस्या घोषित किया.

जब मनमोहन सिंह ने शिवराज सिंह को किया फोन

डॉ. साहब ने सदैव दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्यों को हरसंभव सहयोग दिया. एक बार मैं मध्यप्रदेश में किसानों की समस्या को लेकर उपवास पर बैठा तो यह उनका बड़प्पन था कि उन्होंने फोन पर तुरंत उपवास तोड़ने को कहा और समस्या के निवारण का आश्वासन दिया.

शिवराज सिंह ने लिखा, डॉ. साहब का व्यक्तित्व विजनरी था. मेरे मन में सदैव उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान रहा. एक बार वॉशिंगटन दौरे पर एक पत्रकार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जी को 'अंडर अचीवर' कहा तो मैंने तुरंत प्रतिकार किया और सम्मान पूर्वक कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कभी अंडर अचीवर नहीं हो सकते. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह जी आज हमारे बीच नहीं रहे. उनका जाना देश के लिए अपूरणीय क्षति है.

कृषि मंत्री ने कहा, वे अत्यंत विनम्र, सहज और सरल थे. मुख्यमंत्री रहते हुए मुझे कई विषयों पर सदैव उनका मार्गदर्शन मिला. डॉ. साहब शुचितापूर्ण राजनीति के पर्याय थे. 90 के दशक में उनकी उदारीकरण की नीतियां भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं. सचमुच वह महान थे, निश्चय ही उनका जाना भारतीय राजनीति की बड़ी क्षति है. ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें. विनम्र श्रद्धांजलि!

तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव के कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे सिंह 1991 में आर्थिक सुधारों के निर्माता और विचारक थे, जिसने भारत को दिवालियापन के कगार से बाहर निकाला और आर्थिक उदारीकरण के युग की शुरुआत की. इसके बारे में माना जाता है कि ऐसे कदमों ने भारत की आर्थिक प्रगति की दिशा बदल दी. सिंह का निधन उस समय हुआ जब कांग्रेस पार्टी कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक समाप्त कर रही थी, जहां पार्टी के सभी आला नेता मौजूद थे.

 

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