महाराष्ट्र के सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल के हालिया बयान से राज्य में नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. उनका बयान सामने आने के बाद साथी मंत्रियों ने ही उनके खिलाफ एक प्रकार से मोर्चा खोल दिया है और सावधानी के साथ बयान देने की सलाह दी है. वहीं, एक मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि इस बयान पर सीएम देवेंद्र फडणवीस और दोनों डिप्टी सीएम ध्यान देंगे. दरअसल, पाटिल ने कहा कि लोग कर्ज माफी के प्रति ‘अति उत्साही’ हो गए हैं, उन्हें इसकी लत लग गई है. साथ ही उन्होंने खुले तौर पर स्वीकार किया कि चुनाव जीतने के लिए राजनेता चुनावों के समय कई आश्वासन देते हैं. नेशनलिस्ट कॉन्ग्रेस पार्टी अजित पवार गुट से आने वाले पाटिल ने यह टिप्पणी एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान की. हालांकि, इस कार्यक्रम का समय और स्थान स्पष्ट नहीं हैं. उनके भाषण के कुछ अंश स्थानीय समाचार चैनलों पर प्रसारित किए जा रहे हैं.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री ने कहा, "लोग कर्ज माफी के पीछे ज्यादा आकर्षित हो गए हैं. हम (राजनेता) चुनाव जीतना चाहते हैं, इसलिए चुनाव के समय आश्वासन देते हैं. लेकिन, यह जनता पर निर्भर करना चाहिए कि वे वास्तव में क्या मांगना चाहते हैं." उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को समझदारी से तय करना चाहिए कि वे नेताओं से क्या मांगना चाहते हैं.
पाटिल ने उदाहरण देते हुए कहा, "चुनाव के समय एक नेता एक गांव में गया और लोगों ने कहा- ‘हम उस नेता को वोट देंगे जो हमारे गांव में नदी लाएगा’. अब उन्हें यह सोचना चाहिए कि वे वास्तव में क्या मांग रहे हैं. नेता ने कहा- ‘ठीक है, हम नदी भी लाएंगे’. इसलिए मैं कहता हूं कि जनता को सोच-समझकर मांग करनी चाहिए."
उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि किसी को भी कर्ज माफी जैसे संवेदनशील मुद्दे पर ‘असावधान’ बयान नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा, "महायुति गठबंधन के चुनाव घोषणा पत्र में योग्य किसानों के लिए कर्ज माफी का स्पष्ट उल्लेख है, जिन्हें वास्तव में जरूरत है. उन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए. कई किसान वर्षों से खेती कर रहे हैं, लेकिन वे अपने पूरे कर्ज का भुगतान नहीं कर पाए हैं."
वहीं, शिवसेना से आने वाले मंत्री संजय शिरशाट ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने पहले ही निर्देश दे चुके हैं कि विवादास्पद बयान नहीं दिए जाएं. उन्होंने ने कहा कि मुख्यमंत्री निश्चित रूप से इस बयान पर ध्यान देंगे.
बावनकुले ने बताया कि राज्य में फसल नुकसान का सर्वेक्षण चल रहा है और उसके बाद उचित निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि कर्ज माफी महायुति सरकार की योजना का हिस्सा बनी रहेगी. गौरतलब है कि सितंबर में भारी बारिश और बाढ़ के कारण मराठवाड़ा और आसपास के क्षेत्रों में 68.69 लाख हेक्टेयर फसलें नष्ट हो गईं, जिससे लाखों किसान आर्थिक संकट में आ गए. राज्य सरकार ने इस संकट के मद्देनजर मंगलवार को प्रभावित किसानों के लिए 31,628 करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया था. वहीं, विपक्षी पार्टियां भी राज्य में हुई फसल नुकसान के मद्देनजर किसानों के लिए कर्जमाफी की मांग कर रही हैं.