महाराष्‍ट्र के बीड में हर 30 घंटे में एक किसान की खुदकुशी, खेती का कर्ज है बड़ी वजह

महाराष्‍ट्र के बीड में हर 30 घंटे में एक किसान की खुदकुशी, खेती का कर्ज है बड़ी वजह

पिछले कई सालों से कर्ज को बोझ उन पर बढ़ता जा रहा है और कर्ज किसानों की आत्‍महत्‍या का एक बड़ा कारण बन गया है.  इस साल जो आंकड़ें आए हैं, वो और ज्‍यादा डरावने हैं. 115 दिनों के अंदर 90 किसानों ने जान ले दी है. अगर इस सरकारी आंकड़ें पर यकीन करें तो हर 30 घंटे में एक किसान जान दे रहा है. फरवरी में 25 किसानों ने आत्‍महत्‍या की तो मार्च में 27 किसानों ने अपनी जान दी.

महाराष्‍ट्र के बीड में किसानों के सामने कर्ज बड़ी चुनौती महाराष्‍ट्र के बीड में किसानों के सामने कर्ज बड़ी चुनौती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 30, 2025,
  • Updated Apr 30, 2025, 2:05 PM IST

अच्‍छी बारिश के बावजूद महाराष्‍ट्र के किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. यहां पर किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है. सरकार की अप्रभावी नीतियों और उत्‍पादों की अच्‍छी कीमतों की वजह से किसान परेशान हैं. इन समस्‍याओं के चलते राज्‍य में किसानों की आत्‍महत्‍या का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. ऐसा लगता है कि यहां के बीड जिले में किसानों को बस आत्‍महत्‍या की एक आखिरी रास्‍ता दिखाई दे रहा है. एक जनवरी से 25 अप्रैल तक सानी 115 दिनों में बीड में 90 किसानों ने आत्‍महत्‍या को गले लगा लिया है. 

कर्ज का बोझ आत्‍महत्‍या की वजह 

वेबसाइट अग्रोवन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कई सालों से कर्ज को बोझ उन पर बढ़ता जा रहा है और कर्ज किसानों की आत्‍महत्‍या का एक बड़ा कारण बन गया है.  इस साल जो आंकड़ें आए हैं, वो और ज्‍यादा डरावने हैं. 115 दिनों के अंदर 90 किसानों ने जान ले दी है. अगर इस सरकारी आंकड़ें पर यकीन करें तो हर 30 घंटे में एक किसान जान दे रहा है. फरवरी में 25 किसानों ने आत्‍महत्‍या की तो मार्च में 27 किसानों ने अपनी जान दी. सोमवार यानी 28 अप्रैल को आई रेवेन्‍यू एडमिनिस्‍ट्रेशन की रिपोर्ट में इन आंकड़ों की जानकारी दी गई है. साल 2024 में जिले के 205 किसानों ने आत्‍महत्‍या की. इसमें से 175 किसान सरकारी मदद के योग्‍य थे.

फसल की नहीं मिलती अच्‍छी कीमत 

बीड राज्‍य का वह जिला है जहां पर कभी सूखा रहता है तो कभी यहां पर नमी रहती है. यहां पर कोई भी बड़ी सिंचाई सुविधा नहीं है. साथ ही साथ स्‍थानीय स्‍तर पर उद्योग की कमी है. चार लाख से ज्‍यादा किसान गन्‍ने की कटाई के लिए जिले से बाहर चले गए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि राज्‍य में किसान आत्‍महत्‍या करने पर मजबूर हैं क्‍योंकि सरकारी योजनाओं को बेहद ही खराब तरीके से लागू किया गया है. किसानों को सरकार की तरफ से समय में मुआवजा नहीं मिल पा रहा है और फसल की बहुत ही खराब कीमत उन्‍हें मिल रही है. इनके अलावा भी और बहुत सी वजहें हैं जो उन्‍हें इस तरह के कदम उठाने पर मजबूर कर रही हैं. 

अब तक नहीं मिला मुआवजा 

आत्‍महत्‍या करने वाले किसान के परिवार को सरकार की तरफ से एक लाख रुपये की मदद दी जाती है.  सबसे खास बात है कि बीड जिले में अभी तक एक भी किसान के परिवार को सरकारी सहायता नहीं मिली है. इसमें से अभी तक 58 केस की जांच अटकी हुई और मुआवजा भी. जांच के बाद 27 किसान परिवारों को सरकारी सहायता के योग्‍य पाया गया. लेकिन अभी तक इन्‍हें भी कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. पांच केस ऐसे भी थे जिन्‍हें जांच में अयोग्‍य करार दे दिया गया था. 

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