दक्षिण गुजरात के कुछ हिस्सों में बेमौसमी बारिश का कहर जारी है. इस बारिश की वजह से कई प्रकार के अनाज, सब्जियों और फलों की फसल के चौपट होने का अंदेशा है जिससे किसान खासे परेशान हैं. अब इस क्षेत्र के किसान नेताओं ने मांग की है कि जो नुकसान बारिश की वजह से हुआ है उसका सर्वे कराया जाए और किसानों को मुआवजा दिया जाए. दक्षिण गुजरात में मौसम अचानक से बदल गया है. सोमवार और मंगलवार को क्षेत्र के कई हिस्सों में ओलावृष्टि और बारिश की वजह से किसानों को काफी नुकसान हुआ है.
सूरत के ओलपद में सोमवार से करीब एक इंच बारिश हो चुकी है. इस बारिश ने तटीय इलाकों के करीब स्थित कुछ गांवों में धान की फसल को चौपट कर दिया है. धान के अलावा आम, चीकू और केले की फसल को भी नुकसान हुआ है. बेमौसमी बारिश के साथ आई तेज बारिश ने भी फसलों को चौपट किया है. सूरत डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोडयूसर्स यूनियन लिमिटेड यानी सुमूल के डायरेक्टर जयेश पटेल ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि सोमवार को चौथी बार था जब दक्षिण गुजरात में बेमौसमी बारिश हुई है.
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उन्होंने बताया कि ओलपद में फसलें बहुत बुरी तरह से चौपट हुई हैं. उन्होंने आगे कहा कि जिन फसलों को नुकसान हुआ है, संगठन उनका सर्वे कराना चाहता है ताकि किसानों को मुख्यमंत्री किसान सहाय से मुआवजा दिया जा सके. कपरादा, धर्मपुर और वंसदा में आम के बगीचे तेज हवा और बारिश में बर्बाद में हो गए हैं. किसान नेताओं ने कहा है कि अब यह जरूरी हो गया है कि सरकार एक सर्वे कराए और किसानों को मुआवजा अदा करे. अचानक मौसम बदलने से जहां आम जनता को राहत मिली तो दूसरी तरफ आंधी-तूफान से बाजारों में रखी कई फसलों के नुकसान की आशंका बढ़ गई.
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भावनगर मार्केट यार्ड के इनचार्ज सेक्रेटरी अरविंद चौहान ने कहा कि उन्होंने किसानों को अपनी फसल सुरक्षित करने की सलाह दी है. उन्होंने किसानों से कहा है कि वो तिरपाल या फिर प्लास्टिक शीट लाकर अपनी फसलों को सुरक्षित करें. मौसम विभाग की तरफ से अगले तीन दिनों तक राज्य के कई जिलों में हल्की बारिश की आशंका जताई गई है. मौसम विभाग ने कहा है कि गर्म और उमस की स्थिति 17 मई तक सौराष्ट्र-कच्छ के तटीय इलाकों में और मजबूत होगी.