पंजाब और हरियाणा के बाजारों में गेहूं का नई खेप पहुंच रही है. देश के ये दो राज्य ऐसे हैं जहां सबसे ज्यादा खरीद होती है. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक यह एक अच्छी फसल है, जो सरकारी और निजी संस्थाओं के लिए बहुत जरूरी राहत लेकर आई है. दो साल की खराब फसल के बाद गोदाम खाली हो जाने के कारण फसल पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. पंजाब में पिछले साल इसी अवधि के दौरान प्रति एकड़ 22 क्विंटल और इसके आसपास की पैदावार हुई. वहीं, इस साल प्रति एकड़ फसल की पैदावार 25 से 26 क्विंटल तक हुई है. विशेषज्ञों की मानें तो काफी समय के बाद इस साल गेहूं की अच्छी फसल देखने को मिली है. दो साल बाद यह मौका आया है जब गोदाम खाली हो गया है.
सरकार 16 सालों में गेहूं के भंडार के सबसे निचले स्तर से जूझ रही है. अप्रैल की शुरुआत में बफर स्टॉक के लिए 74.6 लाख टन की जरूरत थी. जबकि स्टॉक इससे कुछ ही ज्यादा 75 लाख टन रिकॉर्ड हुआ है. वैश्विक स्तर पर भी स्थिति ठीक है और कीमतें दबाव में हैं. अब तक, सरकारी खरीद 200 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसी समय में यह 190 लाख टन थी. पंजाब में, लंबी सर्दी के कारण अब तक लगभग 91 लाख टन मंडियों में पहुंच चुका है, जबकि पिछले साल इस समय तक यह 103 लाख टन था. मनजिंदर सिंह मान जो खन्ना कृषि उपज मंडी समिति के सचिव हैं, उनके हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि कम से कम पांच-छह सालों में इतनी अच्छी फसल हुई है.
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करनाल स्थित आईसीएआर यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ व्हीट एंड बार्ले रिसर्च ने इस साल बंपर फसल के कारणों के बारे में बताया है. उनका कहना है कि इस साल की फसल सारे सरकारी अनुमानों को पछाड़ सकती है. उनकी मानें तो क्षेत्र में जितनी भी पैदावार है, वह बढ़ गई है. सर्दियों का मौसम अच्छा था और इस बार ज्यादा समय तक रहा, इसका असर पड़ा है. साथ ही साथ मौसम को झेल सकने वाली वैरायटीज में भी तेजी आई है. करीब 60 फीसदी वैरायटीज ऐसी हैं जो पिछले पांच सालों में जारी की गई हैं. नई किस्मों को कीड़ों के हमले से ज्यादा नुकसान होने का खतरा भी कम है. इस बात की चिंता इन दो राज्यों में किसानों को सबसे ज्यादा सताती है.
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वहीं सरकार अधिकारियों को भरोसा है कि इस बार सरकारी खरीद 310 लाख टन तक पहुंच सकती है. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 262 लाख टन ही था. सबसे ज्यादा खरीद पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से होने वाली है. पंजाब जहां 130 लाख टन के साथ खरीद की लिस्ट में टॉप पर बना हुआ है. वहीं हरियाणा का आंकड़ा 70 लाख टन है. वहीं उत्तर प्रदेश खरीद के मामले में 10 गुना आगे निकल गया है. यहां पर सरकारी खरीद का आंकड़ा 20 लाख टन तक का लगाया गया है. अधिकारी राजस्थान में करीब चार लाख टन से 12 से 14 लाख टन तक का अनुमान लगा रहे हैं. मध्य प्रदेश हालांकि परेशानी का सबब बना हुआ है. यहां पर लक्ष्य करीब 80 लाख टन खरीद का है जबकि पिछले साल यह 71 लाख टन था.