SC की सुनवाई में ऑनलाइन जुड़े डल्‍लेवाल, बाद में कहा- बात रखने का मौका नहीं मिला, पत्र में लिखी बातें

SC की सुनवाई में ऑनलाइन जुड़े डल्‍लेवाल, बाद में कहा- बात रखने का मौका नहीं मिला, पत्र में लिखी बातें

किसान नेता जगजीत सिंह डल्‍लेवाल 24 दिन से आमरण अनशन पर बैठे है. उनकी हालत बहुत नाजुक है. आज दोपहर वे लगभग 10 मिनट तक बेहोश रहे और उन्‍हें उल्‍टी भी हुई. इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में ऑनलाईन जुड़ें. बाद में उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला तो वे मीडिया के माध्‍यम से पत्र जारी कर अपनी बात जनता और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा रहे हैं.

Farmer leader Jagjit DallewalFarmer leader Jagjit Dallewal
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 19, 2024,
  • Updated Dec 19, 2024, 6:31 PM IST

खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन 24वें दिन भी जारी है. आज दोपहर लगभग 1 बजे जब जगजीत सिंह डल्लेवाल नहाकर बाथरूम से बाहर निकले तो अचानक से उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई. वे अचानक से बेहोश होकर गिर गए और उन्हें उल्‍टी भी हुई. करीब 8 से 10 मिनट तक वे बेहोश रहे. संयुक्‍त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने बातचीत कर फैसला लिया कि आज जगजीत सिंह डल्लेवाल वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही से जुड़कर किसानों का पक्ष रखेंगे, लेकिन अचानक से उनकी तबियत बिगड़ गयी. 

होश में आने के बाद सुनवाई से जुड़े

जगजीत सिंह डल्लेवाल को लगभग 1.45 बजे होश आया तो वे वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में जुड़े. एसकेएम (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने अपने बयान में कहा कि डल्‍लेवाल को कोर्ट के सामने अपनी बात रखने का समय नहीं दिया गया, वे 12 से 15 मिनट तक ऑनलाइन तौर पर सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही से जुड़े थे. जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि जो बातें वह सुप्रीम कोर्ट के सामने रखना चाहते थे, वो बातें वे मीडिया के माध्यम से पूरे देश के सामने रख दी जाएं. 

माननीय सुप्रीम कोर्ट, 

MSP गारंटी कानून समेत 13 मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन के तहत मेरे आमरण अनशन का आज 24वां दिन है. मुझे खबरों से पता चला कि आप मेरे स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित हैं, आपकी भावना का हम सम्मान करते हैं और साथ में ये भी आप से विनम्रतापूर्वक निवेदन करना चाहते हैं कि मेरी ज़िंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण उन किसानों की जिंदगियां थी, जिन्होंने सरकारों की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या कर ली. 

पहले सिर्फ किसान और खेतिहर मजदूर ही MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे थे, लेकिन अब तो खेती के विषय पर बनी संसद की स्थायी समिति ने भी अपनी रिपोर्ट (पहला वॉल्यूम, पॉइंट 7, पेज 54) पर स्पष्ट कर दिया है कि MSP गारंटी कानून बनाया जाना चहिए और इस से किसानों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवम देश को बहुत फायदा होगा. 

MSP गारंटी कानून से किसानों की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा होगा. यह सर्वदलीय कमेटी है, जिसमें सभी राजनीतिक पार्टियों की तरफ से 31 सांसद शामिल हैं, हम आप से निवेदन करते हैं कि आप केंद्र सरकार को निर्देश दें कि संसद की कमेटी की रिपोर्ट और किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए MSP गारंटी कानून बनाया जाए, ताकि किसानों की आत्महत्या बंद हो सके. 

हम आप के संज्ञान में यह भी लाना चाहते हैं कि हम जिन मुद्दों पर आंदोलन कर रहे हैं, ये सिर्फ हमारी मांगें नहीं हैं, बल्कि अलग-अलग सरकारों द्वारा हम से किये गए वादे हैं. 2011 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उपभोक्ता मामलों की कमेटी के चेयरमैन थे तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को रिपोर्ट भेजकर कहा था कि किसी भी व्यापारी द्वारा किसी भी किसान की फसल सरकार द्वारा निर्धारित MSP से नीचे नहीं खरीदी जानी चाहिए और इसके लिए कानून बनाना चाहिए. लेकिन, 2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने अब तक खुद की सिफारिश लागू नहीं की है.

किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए बनाए गए डॉ स्वामीनाथन आयोग ने 2006 में अपनी रिपोर्ट दी, 2014 तक यूपीए की सरकार सत्ता में रही, लेकिन उन्होंने रिपोर्ट लागू नहीं की, 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने वायदा किया था कि वे प्रधानमंत्री बने तो स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार फसलों का MSP तय करेंगे. 

2014 में सत्ता में आने के बाद 2015 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं कर सकते हैं. 2018 में पंजाब की चीमा मंडी में 35 दिन धरना देने के बाद में अन्ना हजारे और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने दिल्ली के रामलीला मैदान में आमरण अनशन किया था, उस समय तत्कालीन कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा हस्ताक्षरित चिट्ठी आंदोलनकारी नेताओं को सौंपी थी, जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि केंद्र सरकार 3 महीने में स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले को लागू करेगी, लेकिन 6 साल बीत जाने के बावजूद आज तक उसे लागू नहीं किया गया.

2020-2021 में 378 दिनों तक चले आंदोलन को स्थगित करते समय 9 दिसंबर 2021 को एक चिट्ठी कृषि मंत्रालय द्वारा हमें सौंपी गई थी, जिसमें हर किसान के लिए MSP सुनिश्चित करने, खेती कार्यों को प्रदूषण कानून से बाहर निकालने, लखीमपुर खीरी के घायलों को उचित मुआवजा देने, बिजली बिल को संसद में पेश करने से पहले किसानों से चर्चा करने एवम आंदोलनकारी किसानों पर आंदोलन सम्बन्धी मुकदमे वापिस लेने समेत कई लिखित वादे किये गए थे, जो आज तक अधूरे हैं. हमारा आप से विनम्र निवेदन है कि आप केंद्र सरकार को जरूरी निर्देश जारी कर के कहें कि किसानों के साथ किये गए लिखित वादे जल्द से जल्द पूरे करें. 

MORE NEWS

Read more!