Photos: कश्‍मीरी बेर की खेती से खुली महाराष्‍ट्र के किसान की किस्‍मत, हो रही लाखों में कमाई

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Photos: कश्‍मीरी बेर की खेती से खुली महाराष्‍ट्र के किसान की किस्‍मत, हो रही लाखों में कमाई

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किसान फिरोज खान पठान नांदेड़ जिले के चैनपुर गांव के रहने वाले हैं. किसान फिरोज अपने तीन एकड़ की पथरीली बंजर जमीन पर कश्मीरी सफरचंद जैसे बेर के पेड़ उगाकर लाखों रुपये कमा रहे हैं. उन्होंने इस खेती के साथ एक सफल प्रयोग किया है.

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किसान फिरोज खान पठान ने सिर्फ 8वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की. पढ़ाई छोड़कर फिरोज ने खेती करने का फैसला लिया. उनके पास कुल 18 एकड़ जमीन है, जिसमें उन्होंने शुरुआत में अन्य फसलें उगाई थीं. लेकिन उन फसलों से उन्हें जितनी आय की अपेक्षा थी उतनी नहीं मिली. 
 

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इसके बाद फिरोज पठान ने खेत में फलों की खेती करने का फैसला किया. फिर उन्होंने कश्मीरी सफरचंद जैसा बेर और नाशपाती की खेती के बारे में जानकारी पाई और खेती शुरू की.
 

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फिरोज खान ने जिला जालना से साठ रुपये प्रति पौधे की दर से एक हजार पौधे खरीदे और तीन एकड़ जमीन में कश्मीरी बेर के पौधे लगाए. उन्होंने बताया कि वो पिछले तीन साल से इस खेती में सफल प्रयोग कर रहे हैं. 
 

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उन्होंने बताया कि इस बेर की खेती से उन्हें हर साल 15 लाख रुपये की कमाई होती है. यानी तीन साल से वो 45 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. वहीं, इसमें दिलचस्प बात यह है कि इसकी लागत प्रति वर्ष मात्र 25 हजार रुपये आती है. फिलहाल कश्मीरी सफरचंद जैसे बेर की कटाई चल रही है.

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इस कश्मीरी सफरचंद जैसे बेर की कीमत बाजार में 60 से 70 रुपये प्रति किलो है. ये बेर सामान्य बेर से आकार में थोड़ा बड़ा होता है और खाने में भी स्वादिष्ट होता है. हालांकि, इसका रंग सफरचंद कश्मीरी बेर जैसा होता है. दरअसल, लगातार फसल खराब होने से किसान हतोत्साहित होते हैं, लेकिन फिरोज खान पठान पथरीली बंजर जमीन पर बाग उगाकर 15 लाख रुपये कमा रहे हैं, बल्कि फिरोज इस आय से तरक्की भी हासिल की है. 
 

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फिरोज खान पठान ने अन्य किसानों से अपील की है कि वे हार न मानें और फल की बागवानी की ओर रुख करें. साथ ही फिरोज पठान ने सभी किसानों के लिए बताया कि इससे लाखों की आय होती है. बता दें कि कश्मीरी सफरचंद जैसे बेर, बेर की एक किस्म है जो दिखने में सेब जैसा होता है. यह सेब से थोड़ा छोटा होता है. वहीं, इसकी खेती में लागत कम आती है और मुनाफा भी अच्छा होता है. इसकी खेती सबसे अधिक कश्मीर में होती है, लेकिन अब अलग-अलग राज्यों के किसान भी इसकी खेती में सफल हो रहे हैं.
 

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