Photos: चना फसल की निराई-गुड़ाई कब करें? उकठा रोग से निपटने के लिए अपनाएं ये उपाय

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Photos: चना फसल की निराई-गुड़ाई कब करें? उकठा रोग से निपटने के लिए अपनाएं ये उपाय

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भारतीय कृष‍ि अनुसंधान पर‍िषद से जुड़े कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने बताया क‍ि चने में फूल आने के पहले सिंचाई करना लाभदायक होता है. चने की फसल में दूसरी सिंचाई फलियों में दाना बनते समय (बुवाई के 70-80 दिनों बाद) की जानी चाहिए. इससे दाना अच्छा पड़ेगा तथा पैदावार में बढ़ोतरी होगी. 
 

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अगर जाड़े में बार‍िश हो जाए तो दूसरी सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. लंबे समय तक बार‍िश न हो तो अच्छी पैदावार लेने के लिए हल्की सिंचाई करें. सिंचाई के लगभग एक सप्ताह बाद ओट आने पर हल्की निराई-गुड़ाई करना लाभदायक होता है. 
 

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कृष‍ि वैज्ञान‍िकों का कहना है क‍ि अनावश्यक रूप से सिंचाई करने पर पौधों की वानस्पतिक वृद्धि ज्यादा हो जाती है, जिसका उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसके साथ ही चने की फसल से भरपूर पैदावार के ल‍िए जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, अन्यथा फसल के खराब की आशंका रहती है. 
 

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नए शोधों के अनुसार, असिंचित या देर से बुवाई की दशा में फली में दाना बनते समय 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का 10 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करना फायदेमंद होता है. 

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ज‍िंक की कमी होने पर फसल में पुरानी पत्तियां पीली तथा बाद में जली सी हो जाती हैं. इसके लिए जिंक सल्फेट का छिड़काव करें. चने में उकठा रोग फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम नामक फफूंदी द्वारा होता है. इस रोग से संक्रमित पौधे का ऊपरी भाग मुरझा जाता है, पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और अंत में पौधा पूरी तरह से सूखकर मर जाता है. इसका आक्रमण फसल की किसी भी अवस्था में हो सकता है, लेक‍िन सामान्य तौर पर फसल की पौध अवस्था या फिर फूल व फली लगने वाली अवस्था में इस रोग का प्रकोप अधिक होता है.

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चने की खेती में उकठा रोग बहुत तेजी से फैलता है. एक बार प्रभावित होने पर पौधे पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं. ज‍िससे उत्पादकता में भारी गिरावट आ जाती है. यही नहीं जो उपज होती भी है उसकी गुणवत्ता प्रभावित होती है. 
 

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कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के मुताब‍िक इसकी रोकथाम के लिए उकठा प्रतिरोधी प्रजातियों की बुवाई करना उच‍ित रहता है. यह परमानेंट समाधान है. चने की ऐसी क‍िस्मों में पूसा 372, पूसा 329, पूसा 362, पूसा चमत्कार (बीजी 1053-काबुली), पूसा 1003 (काबुली), केडब्ल्यूआर 108, जेजी 74, डीसीपी 92-3, जीएनजी 1581, जीपीएफ-2 और हरियाणा चना-1 शाम‍िल है.

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